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प्रवीण अमानुल्लाह,बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री और आम आदमी पार्टी की पटना साहिब से लोकसभा प्रत्याशी। ये समाज कल्याण मंत्री के पद का दुरुपयोग करके प्रत्येक आंगनबाड़ी CDPO से मासिक कमीशन लेती थी।आंगनबाड़ी की सामान का आपूर्ति करने वाली कंपनी का भुगतान पास करने में कमीशन लेती थी।ऐसे ही एक कंपनी के मालिक का बेटा ने मुझे बताया कि उसने भुगतान पाने के लिए प्रवीण अमानुल्लाह को 15 लाख रुपये कमीशन दिए थे।उसने ये भी बताया कि दरभंगा ग्रामीण की CDPO ने कमीशन देने से मना कर दिया था,इसलिए उसे निलंबित कर दिया गया।प्रवीण अमानुल्लाह पहले सूचना का अधिकार मंच से जुड़ी थी,जिससे नागरिक अधिकार मंच के संस्थापक रमेश कुमार चौबे जी भी जुड़े हुए थे।रमेश जी ने भी प्रवीण अमानुल्लाह के खिलाफ कई बार लिखा है और उनके विरुध्द अभियान चला रहे हैँ।जगन्नाथ जी(जो मेरा वर्गसाथी थे) ने काफी विरोधोँ का सामना करने के बावजूद मेरा और रमेश जी के फेसबुक टिप्पणी के आधार पर आम आदमी पार्टी का एक सक्रिय कार्यकर्ता होने के नाते आप के केन्द्रीय दफ्तर जाकर प्रवीण अमानुल्लाह के विरुध्द उनका टिकट वापस लेने के लिए शिकायत किया। साथ ही,पार्टी और अरविँद केजरीवाल को ईमेल किया और केजरीवाल से फोन पर बात करने की कोशिश की।आम आदमी पार्टी के केन्द्रीय दफ्तर से जगन्नाथ जी को फोन आया और उन्हेँ सबूत प्रस्तुत करने कहा गया।जगन्नाथ जी ने जवाब दिया कि टिकट देने से पहले ही प्रवीण अमानुल्लाह के बारे मेँ जानकरी जुटा लेना चाहिए था। दफ्तर से जवाब मिला कि पार्टी के पास जांच करने के लिए उतनी मैन पॉवर और अप्रोच नहीँ है।प्रवीण अमानुल्लाह का पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के आप कार्यकर्ता भी विरोध कर रहे हैँ और इतने सारे कार्यकर्ताओँ के विरोध से स्पष्ट है कि प्रवीण अमानुल्लाह एक भ्रष्ट प्रत्याशी है फिर उनके खिलाफ कोई सबूत की जरुरत नहीँ रह जाती।मुझे समझ मेँ नहीँ आया कि जांच करने के लिए क्या मैन पॉवर और अप्रोच चाहिए।प्रवीण अमानुल्लाह के खिलाफ उस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता और आप के देशभर के रजिस्टर्ड कार्यकर्ता से SMS,ईमेल,फेसबुक आदि के जरिये राय लेना चाहिए था,जैसा दिल्ली मेँ आप का सरकार बनाने के लिए लिया गया था।
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