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अधिकारों की रक्षा के लिए जनता को शक्ति क्यों नहीं?

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विधि द्वारा प्रदत कर्तव्यों का निर्वहन और जनता के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सरकारी संस्था को शक्ति दिया गया है तो फिर विधि द्वारा जनता को प्रदत अधिकारों की रक्षा के लिए खुद जनता को शक्ति क्यों नहीं दिया जा सकता।जनता अपने अधिकारों के लिए सिर्फ मांग,निवेदन,विरोध या आंदोलन ही क्यों करे?सीधे समानांतर कार्यवाही भी क्यों ना करे?
मान लीजिए,शिक्षा का अधिकार कानून,2010 की धारा 12(1)(c) के तहत निजी स्कूलों में पड़ोस के 25 प्रतिशत कमजोर व वंचित बच्चों का पहली या प्री -प्राइमरी कक्षा में दाखिला का प्रावधान है जिसका खर्च धारा 12(2) के तहत सरकार उठाएगी।लेकिन कई जगह ये कानून लागू नहीं हो पा रहा है।तो फिर जनता इसके लिए सिर्फ सड़क से संसद तक विरोध ही क्यों करे।जनता एकजुट होकर निजी स्कूलों में स्कूल प्रबंधक की इच्छा के विरुध्द बच्चों का दाखिला क्यों ना करा दे,बच्चों को प्रबंधक की इच्छा के विरुध्द कक्षा करने क्यों ना भेजे और ऐसे बच्चों को स्कूल से निकालने पर प्रबंधक को गिरफ्तार क्यों ना कर ले और दाखिल कराए गए ऐसे बच्चों का खर्च उठाने के लिए जनता सरकार को नोटिस क्यों ना दे।तब इस कानून का पालन होगा।फिर हम ऐसा करते क्यों नही?

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एसडीएम के साथ सेल्फी खींचने पर एसडीएम ने एक को CrPC का धारा 151 लगाकर जेल भेज दिया।एक अन्य एसडीएम ने बगीचा का घास काटने से उत्पन्न शोर से उसके लिए योग करने में हुई व्यवधान के कारण माली को जेल भेज दिया।ये शक्ति का दुरुपयोग और मानवाधिकार हनन का बर्बरतम उदाहरण है।
CrPC का धारा 151 लगाकर तभी किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है जब किसी संज्ञेय अपराध को अंजाम देने की साजिश हो रही हो और उस संज्ञेय अपराध को गिरफ्तार किए बिना नहीं रोका जा सकता हो।धारा 151 के तहत सिर्फ पुलिस अधिकारी के पास ही गिरफ्तार करने का शक्ति है,एसडीएम जैसे कार्यपालक दंडाधिकारी के पास नहीं है।
सेल्फी खींचकर या घास काटने में हुई शोर के कारण कौन-सी संज्ञेय अपराध को अंजाम दिया जा सकता था जिसे अन्यथा रोकना संभव नहीं था?एसडीएम के पास धारा 151 के तहत गिरफ्तारी का शक्ति नहीं होने के बावजूद कैसे गिरफ्तार किया गया?
ऐसे एसडीएम के विरुध्द समानांतर कार्यवाही कर जनता को समानांतर जेल बनाकर जेल भेजकर समानांतर जांच एजेंसी से जांच कराकर समानांतर कोर्ट में मुकदमा चलाकर फांसी का सजा सुनाकर सार्वजनिक रुप से फांसी दे देना चाहिए ताकि जबरन जेल भेजने का सबक मिले।

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अपने क्लासमेट व मित्र बमशंकर झा@आनंद कुमार झा द्वारा ब्लेकमेल करने/रेप में फंसाने की रची गयी गंभीर साजिश का शिकार होने से लगभग बच गया हूँ।जिस बमशंकर झा ने मेरा सहयोग से दो आरटीआई लगाया,जो कॉलेज में प्रिंसिपल के पास शिकायत करने मेरे साथ जाया करता था,जो सर्वप्रथम समानांतर लोकतंत्र वाली मेरी अवधारणा में सहयोग करने के लिए आगे आया,उसी बमशंकर झा ने मुझे अपने रुम में बुलाकर अपने किसी जानी- पहचानी लड़की के साथ मुझे रुम में बंद कर ब्लेकमेल करने/रेप में फंसाने की योजना बनायी थी।वो जल्द ही ऐसा करता भी लेकिन मुझे पता चल गया और बमशंकर झा को मांफी मांगनी पड़ी।मैंने बमशंकर झा को फेसबुक पर ब्लॉक कर दिया और उसके रुम पर कभी भी जाने से मना कर दिया।वस्तुतः कुछ दिन पहले बमशंकर झा ने मुझसे विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण खत्म करने का उपाय पूछा।जिसपर मैंने सेक्स को प्रकृति के गलत विकासवाद का परिणाम सिध्द करते हुए प्रकृति में मौजूद अन्य तत्त्वों के साथ जुड़ने का उसे सलाह दिया।बमशंकर झा के दिमाग में मुझे सेक्स के खिलाफ देखकर मेरा ब्रह्मचर्य तोड़ने हेतु लड़की के साथ रुम में बंद कर ब्लेकमेल करने/रेप में फंसाने का खुराफाती विचार आया।

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