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अनाज सड़ाना एक अपराध क्यों नहीं ?

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FCI के गोदाम या बफर स्टॉक में अनाज को सड़ने क्यों दिया जाता है?क्योंकि सड़े हुए अनाज का कालाबाजारी करने से ज्यादा कमाई है|आप चौंक गए न|लेकिन सड़े हुए अनाज से ही शराब जैसा मादक पदार्थ बनता है|सरकार शराब कारोबारी को सड़े हुए अनाज को उच्च कीमत पर बेचकर कालाबाजारी करती हैं|खाद्य सुरक्षा कानून में अनाज को सड़ने से बचाने के लिए क्या किया जाए,इसका उल्लेख नहीं है|खाद्य सुरक्षा विधेयक में अवैद्य रुप से गुटखा उत्पादन और विक्रय पर रोक लगाई गई है लेकिन शराब के अवैद्य उत्पादन और विक्रय पर रोक इसलिए नहीं लगी क्योंकि सड़े हुए अनाज को बेचकर कालाबाजारी जो करना है|
आखिर इस बात का प्रावधान क्यों नहीं किया गया कि अनाज सड़ाना एक अपराध है और जिस गोदाम में अनाज सड़ेगी,वहाँ के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई होगी और गोदाम भर जाने के बाद अनाज का वितरण गरीबों में विधेयक में निर्धारित दर पर कर दिया जाएगा और ऐसा नहीं करने वाला अधिकारी अनाज सड़ाने का दोषी और सजा का भागीदार होगा|अनाज सड़ाने का मतलब होता है गरीबों को भूखे मारना जो गैर-इरादतन हत्या के बराबर है लेकिन सड़ाकर के कालाबाजारी जो करना है,इसलिए सजा का प्रावधान नहीं है|
जरा गंभीरता से सोचिए|

भ्रष्ट न्यायाधीशों की तर्क शक्ति तो मेरा गाँव के 15-16 साल तक के लड़के से भी कम है|ग्राम कचहरी में एक झूठे केस का एकमात्र गवाह जो पहले बोला कि आरोपी ने ऐसा उसे उसके दुकान पर आकर कहा और फिर बदल गया और बोला कि उसने स्वयं आरोपी से कचहरी पर पूछा था,मतलब इस विरोधाभासी बयान को मैं पकड़ लिया और उसकी गवाही झूठी साबित हो गई|गाँव का एक 13 साल का लड़का जो उस गाँव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ता है,वह मुझे समझाने में सफल रहा कि आखिर गवाह का बयान बदलने के बाद उसकी गवाही झूठी क्यों हुई|
मेरे खिलाफ लगभग 30 बयान बदल बदल कर दिया गया है और Principal,SDO,DM,AC,THREE TEACHERS,that mother and boy-सभी ने बदल बदल कर तथ्य से परे अपने तरीके से बयान दिया लेकिन जज ने इतने विरोधाभासी बयानों को मान लिया|एक अन्य 15 साल का लड़का को मैंने कहा कि प्राचार्य ने बच्चा वाला शिकायत जिसे उसके भाई से लिखवा लिया है,उसपर दो दिन पहले ही साइन कर दिया है|उसकी माँ ने डीएम को की गई शिकायत पर एक महीना पहले ही साइन कर दिया है|प्राचार्य के पास एक शिक्षक और उसके माँ के द्वारा की गई शिकायत पर प्राचार्य का साइन ही नहीं है|वह लड़का आसानी से कह दिया कि सारा पेपर फर्जी है|

राघवजी सीडी कांड-मामला पहले से सुनियोजित साजिश प्रतीत होता है|
भाजपा का एक नेता शिवशंकर पटोरिया ने कहा कि उसने वित्त मंत्री राघवजी का दो युवक के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध का 22 सीडी स्टिंग करके बनाई|स्टिंग करने वाला और कोई दूसरा नहीं,वह दो युवक ही था|
आखिर ये दो युवक यौन शोषण का शिकार हुए या अपने बॉस पटोरिया को राजनीतिक फायदा दिलाने के लिए अपना देह बेच रहे थे?एक युवक ने अपने बयान में कहा कि इन्होंने राघवजी के साथ जबरन सेक्स संबंध का MMS भी बनाया है|अपने यौन शोषण का MMS खुद कोई कैसे बना सकता है?एक के बाद एक प्रतिदिन 22 सीडी बनते रहे और ये दो युवक अपना देह बेचते रहे और पटोरिया सीडी बनवाते रहे|पटोरिया ने सीडी बनाने के जगह पर दोनों युवक को राघवजी के चंगुल से मुक्त क्यों नहीं करवाया और इन दोनों को 22 सीडी बनाने से पहले ही पुलिस के पास लेकर क्यों नहीं गए?एक ओर वह युवक राघवजी के चंगुल में फंसा था,दूसरी ओर पटोरिया के चंगुल में भी फंस गया|वह दोनों वाकई र्निदोष है|हलाँकि राघवजी ने कम,पटोरिया ने ज्यादा दवाब दोनों पर दिया|

राजेन्द्र कुमार ही IB हैं क्या?राजेन्द्र कुमार IB का सिर्फ एक अधिकारी हैं|यदि राजेन्द्र कुमार के बारे में कहा गया है कि इन्होंने इशरत जहां को आतंकी बनाने का फर्जी सूचना उपलब्ध कराया,इसका मतलब ये नहीं होता है कि पूरा IB ही गलत है|इसका मतलब सिर्फ इतना होता है कि राजेन्द्र कुमार IB का एक गलत अधिकारी हैं,जिन्हें हटाकर इस इंटीलिजेंस ब्यूरो को साफ करना चाहिए|हमारी सोच लुई 14वाँ की तरह होती है जो बोलते थे कि मैं ही राज्य हूँ|यानि कि राजेन्द्र कुमार ही IB हैं |IB एक संस्था है और चाहे उस संस्था का कोई भी व्यक्ति हो,खुद संस्था या संस्था से सर्वोपरी नहीं हो सकता|हम व्यक्ति को संस्था का प्रतिरुप मान लेते हैं जो कि हमारी सामंती मानसिकता को दर्शाता है|
IB ने राजेन्द्र कुमार वाली प्रकरण को अपने स्टेटस से जोड़ लिया है और राजनेताओं,मीडिया आदि ने स्टेटस के साथ जोड़ने के लिए IB को उकसाया है|यदि आज IB या किसी खुफिया एजेंसी का मनोबल टूट रहा है तो इसके लिए उस संस्था में मौजूद अधिकारियों का सामंती मानसिकता जिम्मेवार हैं जो खुद को ही संस्था या संस्था से सर्वोपरि समझते हैं|

सुब्रमण्यम स्वामी आजकल अपने पार्टी का विलय भाजपा में करने के बारे में सोच रहे हैं इसलिए मोदी के पक्ष में बोलना शुरु कर दिया है|इन्हें लगता है कि ये गृह मंत्री बनाए जाएंगे यदि मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं|इन्होंने कहा कि इशरत जहां के परिवार वाले ने जब वह गायब हो गई थी तो FIR क्यों नहीं किया|लेकिन ये भूल रहे हैं कि वह कहीं और गायब नहीं हुई थी बल्कि पुलिस हिरासत में पहुँच गई थी|इसलिए पुलिस ने FIR नहीं करने का दवाब बनाया हो या चाल चलकर किसी व्यक्ति के माध्यम से उसके परिवार वाले के मन में संशय पैदा कर दिया हो कि इशरत का आतंकी से संबंध है|इन्होंने कहा कि डेविड हेडली ने इशरत को SUICIDE BOMBER बताया|लेकिन हेडली को भी किसी दूसरा ने यह बात बताया जो कि SECOND HAND INFORMATION या HEARSAY EVIDENCE है|…लगता है कि ये कानून भूल गए हैं|
Hearsay Evidence is not Admissible Evidence under Indian Evidence Act.

I have gone something wrong now….It’s totally the consequence of behaviour shown against me.Firstly i prefered to live outside the humanitatrian relationship..But even after this,i have been reactive when my family members say something against me,which is indeed just like teasing or mental harassing…However,i was not reactive earlier and now it has been out of tolerance and i react..
It is that Case which enforced my Family members to react against me .As a result,sometimes i react now if something is said against me…
How a criminal nature Principal traps an Innocent (Not only me but also 20 students are harassed ) and how he is totally protected by this system.It totally gives Harassment.But despite such circumstances,if Family shows non-cooperation and reaction by words,it makes me sometimes to react.

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