Menu
blogid : 8093 postid : 846078

काला धन धारियों का सूची प्रदान करना सूचना का अधिकार के दायरे में

VISION FOR ALL
VISION FOR ALL
  • 270 Posts
  • 28 Comments

श्री ब्रजभूषण दूबे जी,जिला पंचायत सदस्य,गाजीपुर को प्रधानमंत्री कार्यालय काला धन के आरोपियों का सूची सूचना का अधिकार अधिनियम,2005 के तहत नहीं देना चाह रही है।
सूचना का अधिकार कानून की धारा 8(1)(क) के तहत ऐसी सूचना प्रदान नहीं किया जा सकता जो विदेशी राज्य से संबंध को प्रतिकूल रुप से प्रभावित करेगा।धारा 8(1)(च) के तहत ऐसी सूचना प्रदान नहीं किया जा सकता जो विदेशी सरकार से गोपनीय में प्राप्त हुई हो।
जाहिर है कि काला धन धारियों का सूची विदेशी सरकार से गोपनीय में प्राप्त हुई है और इसका सूची प्रदान करना विदेशी राज्य से संबंध को प्रतिकूल रुप से प्रभावित कर सकती है।
लेकिन धारा 8(2) में प्रावधान किया गया है कि धारा 8(1) के तहत जिस सूचना को प्रदान नहीं किया जा सकता है,उस सूचना को भी लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रदान किया जा सकेगा यदि जनहित सूचना प्रदान करने से होने वाली हानि से अधिक हो।
ज्ञात है कि काला धन धारियों का सूची प्रदान करने से जनहित हानि से ज्यादा है।अतः सूची प्रदान किया जाना चाहिए।इस मामले को केन्द्रीय सूचना आयोग और न्यायालय ले जाया जा सकता है।

………………

RTI ACT,2005 की गंभीर त्रुटियाँ
1.RTI ACT की धारा 8(1) में दस ऐसे कारण बताए गए हैं,जिसकी सूचना प्रदान नहीं की जाएगी।लेकिन धारा 8(2) में प्रावधान किया गया है कि यदि लोक सूचना अधिकारी संतुष्ट है कि सूचना प्रदान करने से होने वाली हानि से ज्यादा जनहित है तो सूचना प्रदान किया जा सकेगा।लोक सूचना अधिकारी को कभी भी जनहित नहीं दिखेगी,इसलिए ये निर्णय लेने के लिए कि जनहित ज्यादा है या हानि,लोक सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन को सूचना आयोग को संदर्भित करने का प्रावधान होना चाहिए।
2.प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के पास लोक सूचना अधिकारी के विरुध्द Penalty लगाने के लिए सिफारिश करने का शक्ति नहीं है।धारा 20 के तहत सिर्फ सूचना आयोग के पास ये शक्ति है।सिर्फ सरकार से सिफारिश करने का है,लगाने का नहीं।
3.धारा 6(3) के प्रावधान के अनुरुप आवेदन को पाँच दिन के भीतर हस्तांतरित नहीं करने,गैर-संबंधित/कम संबंधित विभाग को हस्तांतरित कर देने,हस्तांतरण के बजाय निष्तारित कर देने को धारा 7(2) के तहत सूचना देने से मना करना नहीं माना गया है,जिसके कारण ऐसी स्थिति में लोक सूचना अधिकारी के विरुध्द अपील/शिकायत करने पर उसपर कार्रवाई होना मुश्किल है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply