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बता ऐ खुदा “ग़ज़ल”

बेवफ़ाई
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Jan 2004

 

कब आये थे कब जाना होगा,
कब बनना है कब मिटना होगा,
किस अँधेरी रात में
लाखों दीपक जलाना होगा,
ये आज तुम्हे बताना होगा.

 

कोई पराया है कोई अपना होगा,
मिलने पर क्या बिछड़ना होगा,
मेरा भी इक सपना होगा,
सच होगा या झूठा सपना,
ये आज तुम्हे बताना होगा.

 

जिसका जाएगा उसका वो अपना होगा,
किसी का भाई किसी का बेटा होगा,
किसी का नाती किसी का पोता होगा,
उसके जाने पर क्या हर पल कोई रोता होगा.
ये आज तुम्हे बताना होगा.

 

जब मै दसवीं में पढ़ता था तो अपनी कोचिंग से घर जा रहा था तो रास्ते में एक हास्पिटल के बाहर कुछ लोग किसी को पकड़ के बहुत रो रहे थे मेरी ये रचना उसी पल बनायीं गयी थी अब अच्छी है या बेकार ये अब आपको ही बताना होगा.

बहुत जल्द अपनी नयी रचना के साथ आपके सामने फिर आऊंगा आपका.
आकाश तिवारी

 

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