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सितारा (कविता)

Merikahani
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सितारा, आसमान में दूर वो सितारा

सितारा जो मुझे अपना सा लगता है,

क्यूँ सारे आसमान में,

मुझे वो सबसे ख़ास लगता है

मेरी चलती हुई नज़र,

उस पर हमेशा रुक जाती है

कभी उसकी टिमटिमाहट में,

मुझे कोई बोली, तो कभी,

शांत सी मुस्कान नज़र आती है

उसे देखती तो दुनिया है,

पर वो बात सिर्फ़ मुझसे करता है

मुझे वो दूर खड़ा,

मेरे घर का हिस्सा लगता है

क्या सच में ?

कुछ लोग सितारा बन जाते हैं

क्यूँ हमको प्यार करने वाले भी,

हमें छोड़ बहुत दूर,

चले जाते हैं..!!

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