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मेरी दिल्ली !!..(व्यंग्य)

antardwand
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ये दिल्ली नही दिलवालों की
ये है सिर्फ दलालों की
सपने यहाँ पर दले जाते
जनता गरीब छली जाती
मंहगाई डायन का यहाँ बसेरा
अमीरों के घर होता सवेरा
धनवानों की हर रात दिवाली
गरीब का तो दिन भी काला
अमीर लेते ज़िन्दगी का मज़ा
गरीब का तो जीना भी सज़ा
कहने को दिल्ली राजधानी है
यहाँ नेताओं की मनमानी है
नेता का पसीना भी खून है
गरीब का तो खून भी पानी है
दिखावों से भरी ये दिल्ली है
ज्यूँ नो सौ चूहे खाकर
हज को जाती कोई बिल्ली है ….

आरती शर्मा …

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