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सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा ..

antardwand
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हुई गया प्रभु से मिलनवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
लख चुरासी तूने नरक बिताया
प्रभु नाम तूने कभी नही ध्याया
अब लिया देह में जन्मवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
आठों पहर किनी चुगली निंन्दवा
कानों में घोला विष का प्याल्वा
अब पाया प्रभु का चिन्तनवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
जन्म डुबोई तूने भोग में रसनवा
कड़वी वाणी बोली कड़वा वचनवा
अब पाया राम नाम का प्रसादवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
धन कमाया तूने तोड़ के तनवा
सिर खपाया तूने जोड़ के धनवा
अब खोला प्रभु बैंक में खतवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
माटी मिलाय दई माटी में मितवा
बिसराय दियो राम का नामवा
अब जाना हरी का स्वरूपवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
हुई गया प्रभु से मिलनवा
सुन रे अनाड़ी हमरा मनवा …
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