ख़ामोशी...
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तुम्हारी यादों ने
कर रखा है
आगोश में मुझे
जैसे ओढ़ रखा हो मैंने
कफ़न
तुम्हारी हँसी
मौत के बाद की
शान्ति-सी
प्रतीत होती है
और
तेरे प्यार की अग्नि
लगातार जला रही है मुझे
धीरे-धीरे मेरे अस्तित्व को
बदल रही है
एक ठंडे राख में
ख़ुद को ही तर्पण
करता हूँ
तुम्हारे इन्तेजार में
इससे तो अच्छा होता
काश
मौत ही आकर
खामोश कर जाती मुझे…
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