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में तो बस…..

ख़ामोशी...
ख़ामोशी...
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कभी तमन्ना न की
तारों को तोड़ लेने की
मैं तो बस
उड़ना चाहता हूँ आसमान में
चाँद की चांदनी को समेटना
मेरे वश का नही
मैं तो बस
डूबना चाहता हूँ रौशनी में
कभी कोशिश न की
सूरज से आँख मिलाने की
मैं तो बस
जलना चाहता हूँ दीपक की तरह
मैं तो बस
बसना चाहता हूँ तुम्हारे दिल में…

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