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मां-बाप के आगे शीष नवाने का दिन

Berojgar Yuva Sanghtan
Berojgar Yuva Sanghtan
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कल वेलेंटाइन डे है. इस दिन का दुनियाभर के युवाओं को बेसब्री से इंतजार रहता है. संत वेलेंटाइन की याद में युवा जोड़े इस दिन को प्रेम दिवस के रूप में मनाते हैं. कालांतर में वेलेंटाइन वीक व वेलेंटाइन पखवारा भी मनाया जाने लगा है. इसमें रोज डे, किस डे, हग डे से लेकर स्लैप डे, ब्रेकअप डे तक शुमार हो चुके हैं. भले ही इसका मायने व संदेश समाज में कुछ भी जाये, उन्हें परवाह नहीं. अपना देश भारत परंपराओं, सांस्कृतिक विरासतों व धार्मिक मान्यताओं का देश है. यहां की सभ्यता, संस्कृति की झलक पाने के लिए विदेशों से भी बड़ी संख्या में हर वर्ष लोग आते रहते हैं. भारतीयों की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वे विदेशी चीजों को भी अपने ढंग से आत्मसात करते हैं.

कुछ भारतीयों ने वेलेंटाइन डे के ही दिन ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ शुरू करके कुछ ऐसा ही किया है. यानी, प्रेम का इजहार इस दिन हो, पर अपने मां-बाप के लिए. माता-पिता जिन्होंने हमें जन्म दिया अगर वर्ष में एक बार हम उनकी पूजा विधिवत करें, तो हमारा जीवन धन्य हो सकता है. हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए कि हम पहले उनकी पूजा करें जिन्होंने हमें जन्म दिया.

अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।

चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशो बलम।।

अर्थात जो माता-पिता और गुरुजनों की पूजा करते हैं, उनकी सेवा करते हैं उनकी आयु, विद्या, यश व बल में लगातार वृद्धि होती है. ‘रामायण’ में भी कहा गया है.. प्रात काल उठि के रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा।। अर्थात् भगवान राम भी सुबह उठ कर सर्वप्रथम माता-पिता और गुरु के चरणों में शीष नवाते थे, तभी कोई कार्य आरंभ करते थे. आज हमारे समाज में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव तेजी से दिख रहा है. हमारे पहनावे, हमारे रहन-सहन, हमारी जीवन शैली पर पाश्चात्य संस्कृति हावी हो रही है.

वहीं दूसरी ओर पश्चिमी देशों के लोग शांति की खोज में भारत के धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक स्थानों की ओर आ रहे हैं. कुंभ मेला हो, सूरज कूंड मेला, देशभर में फैले इस्कॉन मंदिर हों या फिर देवघर का रिखियापीठ, इन स्थानों पर हजारों की संख्या में विदेशी स्त्री-पुरुष ‘राधे-राधे’, ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’, ‘नमो नारायण’.. करते दिख जाते हैं. ये लोग अपने देशों की चकाचौंध, व भाग-दौड़ से दूर भारत जैसे देशों में शांति की खोज में आते हैं. इन दिनों सोशल नेटवर्किग साइट (फेसबुक , ट्वीटर आदि) पर भी 14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने की अपील की गयी है. संत वेलेंटाइन ने प्रेम का जो संदेश दिया था, आज के युवाओं को इससे कोई मतलब नहीं रह गया है. वेलेंटाइन डे अब सिर्फ मौज-मस्ती व ईलता फैलाने के लिए जाना जाने लगा है. इसलिए हमें चाहिए कि इस दिन को हम लोगों को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ के रूप में मनाने के लिए प्रोत्साहित करें.—with Shweta Priya and 46 others.

Binod Rajak's photo of Usha Shah, Umesh Kumar Burnwal, Rajaka Yuva Sena, and 32 other people.

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