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सुबह १५ अगस्त की सुबह

abhay tomer
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दो दिन पहले सुबह- सुबह जब इस मेल ने…. अपना इन्टरनेट मेल खोला अपने दोस्तों से मेल बढाने के लिए तो एक सन्देश आया मेरे पास . उसमे ये बाते लिखी गई थी की “आप हिंदी को आगे बढ़ने के लिए कितने प्रयासरत है जिस्ससे हमारा हिंदुस्तान भी आगे बढे .”
मुझे ख़ुशी हुई की ये मित्र 15 अगस्त के दो दिन पहले ही जाग गए , अन्यथा 15 अगस्त के दिन लोग देश के लिए क्या-क्या नहीं सोचते और क्या नहीं करने की ठान लेते है , भले 16 अगस्त को वो काम करने का मौका नहीं मिले ….इस बात की जिक्र हम बाद में करेंगे ……..
मैंने उस दोस्त की इस काम की तारीफ की तो उधर से जवाब आया की “thanks dear”. हिंदी के विकाश में पहला प्रयाश उनके तरफ से ही कुछ ऐसा रहा.
14 अगस्त को करीब देर रात तक काम करता रहा , मगर आदत है जल्दी उठने की . मेरे छात्रावास में अभी तक सभी के दरवाजे बंद थे , ये लोग आज छुट्टियाँ मना रहे थे . संयोग से 15 तारीख को सोमवार था .
15 अगस्त को इन लोगो ने छुट्टी के रूप में नींद से सोने की आजादी ली और लगभग 10 बजे नींद को इन्होने आजादी दी .
मै चाय लेकर बालकनी में खड़ा था की एक दोस्त ने आकर मुझे good morning कहा …. मैंने उसे गौर से देखा , तभी झंडा फहराने के बाद स्कूल के छोटे -छोटे बच्चे हाथ में तिरंगा लेकर ख़ुशी से जोर -जोर से “जय हिंद जय भारत ” का नारा लगा रहे थे , मेरे दोस्त का ध्यान उस तरफ गया , तब मैंने कहा “जय हिंद .”
नहा -धोकर करीब १२ बज गए . तभी मेरे दोस्त का फ़ोन आया . उनके फ़ोन उठाने के अंदाज से पता चल गया की किसका फ़ोन है , क्योंकि शरीर में थोड़ी अंगड़ाई आ गई थी . उन सज्जन को पता चला की उन की प्रियतमा फलना तारीख को आ रही है , तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा . थोड़ी देर बाद phone रख दिया .
उन्होंने आने का इंतजार करने की तयारी करते हुए पूछा की ” आज तारीख कितनी है? “.
हम दोनों ने उनको गौर से देखने लगे तभी पीछे से आवाज आई ” जय हिंद जय भारत “. मैंने कहा आज “15 अगस्त है .”
जब सभी जग गए तो एक दोस्त ने कहा की “आज जलेबी खाया जाये “मैंने सोचा की आज के दिन जलेबी खाकर जशन मनाया जाये . पैसे इकठ्ठा कर के गया तो जलेबी कही नहीं मिली . तभी एक दोस्त ने कहा की कोई बात नहीं आज का खाना मेरी तरफ से . उन्होंने फ़ोन से कुछ पिज्जा और चायनीज खाने को मंगवाया ……….मैंने बदहजमी का बहाना देते हुए अपना खाना टाल दिया .
जय हिंद जय भारत.
-अभय तोमर

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