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अभिनव त्रिपाठी:
लॉक डाउन 3.0,मई 4 से लागू हुआ तो देश के विभिन्न जिलो को रेड,ऑरेंज,और ग्रीन ज़ोन में बाँट दिया गया ऐसा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर फैसला लिया गया.रियायतों के साथ बात हुई तो कुछ छुट ग्रीन जोन के हिस्से में आई तो रेड और ऑरेंज जोन सावधानियो के साथ अधिक छुट पाने से वंचित रहे,जब सशर्त छुट के साथ लोग घरो से बाहर निकले तो सबसे अधिक कदमो की आवाज़ आई मैखानो के दरवाज़े से.शराब की दुकानों के सामने दुकान खुलने से पहले ही लोगो की लम्बी लाइन देखने को मिली. आलम ये रहा की पुलिस को लाखो मसक्कत करनी पड़ी लॉकडाउन में लोगो को नियम और कायेदे में लाने के लिए,कहीं कहीं तो 2.5 किलोमीटर तक लाइन दृस्तिगत हुई.इन सब के साथ तस्वीरों में जो देखने को मिला उसके बाद सवाल ये है कि कोरोना के इस संकट काल में वायरस को शराब का सहारा न मिल जाये.
समूचे देश में कारोबार इन दिनों ठप पड़ा है और आर्थिक गतिविधिया पूरी तरह से शून्य पड़ी है कुछ सरकारों ने तो ये तक बता डाला की सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे अब खजाने में नही बचे है.इन्ही सभी बातो को ध्यान में रख कर कुछ क्षेत्रो में आर्थिक गतिविधि शुरू करने की अनुमति दी गयी.
लेकिन उसके बाद जो दृश्य वास्तव में परिलक्षित हुआ है उससे ये साफ़ समझा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था पटरी पे आये न आये लोग बीमारी जरुर बाधा देंगे सच ये भी है कि अन्य रेवेन्यु से ज्यादे शराब का टैक्स रेवेन्यु है सभी राज्य सरकारों के बज़ट में,अनुमान के मुताबिक राज्यों के कुल टैक्स में 15 – 25 % तक का योगदान मदिरा टैक्स का ही है.
आकड़े
आकड़े ये सीधे तौर पर बता रहे है की शराब बिक्री की भूमिका देश के आर्थिक विकास के लिए क्या है..
आर्थिक वर्ष 2019-2020 में करीब सभी राज्यों द्वारा 1.70 लाख करोड़ का रेवेन्यु वसूल हुआ जो उन सभी राज्यों के बजट का करीब 15% – 25%तक का हिस्सा है जहाँ पर शराब की बिक्री होती है.
उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,कर्नाटक के बज़ात का 20%से अधिक का रेवेन्यु केवल शराब बिक्री से आता है,तो वहीँ पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,हिमांचल प्रदेश,पंजाब,तेलंगाना, 15% – 20%तक और केरला ,महाराष्ट्र और तमिल नाडू में करीब 10% तक रेवेन्यु इसी माध्यम से होता है.
दिल्ली में आर्थिक वर्ष 2019-2020 में करीब 5000 करोड़ का रेवेन्यु मिला था,तो कर्नाटक से 21,400 करोड़ का टैक्स मिला था.जो की पिछले वर्षो से कुछ प्रतिशत आधिक है.
पुरे देश में करीब 70% शराब की बिक्री दुकानों के माध्यम से होती है और 30% की बिक्री बार और रेस्टोरेंट्स के माध्यम से होती है
हालाँकि जब देश 25 मार्च से लॉक डाउन था उस स्थिति में करीब 30000 करोड़ के नुकशान का अनुमान लगाया गया था,इन सभी बातो से ये तो सत्य है की राजस्व वसूली में शराब की बड़ी भूमिका है.
सवाल यहाँ पर ये है कि इस तरीके से शराब की बिक्री से न केवल लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाई जा रही है बल्कि कोरोना खतरे को बढ़ता हुआ देखा जा सकता है.आर्थिक हित के लिए शराब बेचना गलत नही लेकिन इस विकट परिस्थिति में लोगो के जान को जोखिम में डालना सही बिलकुल नही.
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