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झा जी, भई वाह जी !!!!

abhi
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संसार में ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं है जिसका उत्तर मेरे मित्र झा जी के पास नहीं होता और सभी मित्रो की समस्याओ का समाधान भी वह बड़े प्रेमपूर्वक करते है,पर ज़रा कवी ह्रदय है इसलिए थोड़ी सरहाना की भूख है। मेरे मन में भी एक प्रश्न कुछ दिनों से कुलबुला रहा था तो सोचा चलो झा जी से इसका उत्तर प्राप्त करे …….

..
अपने प्रश्नों की पोटली लिए
मैं पंहुचा झा जी के द्वार
मुझे देख झा जी मुस्काए
बोले कैसे आना हुआ यार
आज बड़े दिनों बाद आये हो
ज़रूर कोई प्रश्न लाये हो
मैं बोला प्रभु आप तो सब जानते है
हम आप ही को ब्रह्म मानते है
ज़रा एक शंका का समाधान बताइए
ह्रदय से अज्ञान के जाले हटाइए
झा जी मुस्काए, बोले वत्स क्या जानना चाहते हो ??
क्या चलती है सत्ता में बाते बता दूं ??
स्विस बैंक में है किसके खाते बता दूं ??
मैं बोला भगवन ! यह बाते अपनी समझ से परे है
हम सिक्के है खोटे, आप डॉलर खरे है
इन व्यर्थ की बातो में हम नहीं पड़ते है
आप यह बताइए पति-पत्नी क्यों लड़ते है ??
झा जी हँसे बोले प्रश्न तो इंट्रेस्टिंग लाये हो
लगता है पत्नी से मार खा कर आये हो
खैर,इसका उत्तर मैं तुम्हे बताता हूँ
विषय कठिन है उदहारण से समझाता हूँ
एक दिन तुम्हारी भाभी को हम पर प्रेम आया
बड़े प्रेम से हमे आपनी गोद में लेटाया
और बोली सच बताना प्रिय कैसा लग रहा है ??
हमे लगा हमारे अन्दर उपमाओ का सागर जग रहा है
उतावली होकर वो बोली बताइए न कहाँ खोये है ?
मैंने कहा प्रिय लगता है बैकुंठ में विष्णु शेष शैय्या पर सोये है
यह सुनते ही उनकी भृकुटी तन गयी
इक पल में लक्ष्मी दुर्गा बन गयी
इससे आगे हम नहीं बताएँगे
पर्सनल मैटर है भाई सब जान जायेंगे
अब तुम्हारे प्रश्न में आते है, उसका उत्तर बताते है
जब पत्नी कहती है प्रिय सच बोलना
अपना मुंह कभी मत खोलना
पत्नियों को सच तनिक न भाता है
यह गाँधी अस्त्र बस मुसीबत लाता है
सत्यमार्ग में सर मुंडाते ही ओले पड़ते है
इसीलिए पति -पत्नी लड़ते है
झा जी का उत्तर सुन मन गदगद हो आया
रुंधे हुए कंठ से बस इतना ही कह पाया
झा जी, भई वाह जी !!!

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