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भाषण से हासिल होगा सिंहासन

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अभिनय आकाश
पिछले कुछ समय से कांग्रेस और भाजपा में जुबानी जंग चल रही है. गुजरात से लेकर देवभूमि हिमाचल तक दोनों पार्टी के नेता एक दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं. इस जुबानी जंग की कमान नरेन्द्र मोदी और राहुल गाँधी ने संभाल रखी है. जिसको देखकर यही लगता है कि वर्तमान दौर में जुबानी जंग के बगैर सियासत की कल्पना नहीं हो सकती. एक दूसरे को नीचा दिखाए जाने के इस चलन में भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कांगड़ा जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा में मोदी ने कांग्रेस पर एक बार फिर करारा वार करते हुए उसे दीमक बताया है. पीएम मोदी ने हिमाचल में भाजपा के लिए तीन-चौथाई बहुमत की मांग करते हुए, कांग्रेस की तुलना दीमक से की और कहा कि इस दीमक का पूरी तरह सफाया करने की जरूरत है. दूसरी तरफ राहुल गांधी भी कभी गुजरात में विकास को पागल बता रहे हैं तो मोदी सरकार के निर्णायक कदम जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में मोदी की यह दूसरी रैली थी. इससे पहले भी एक जनसभा में मोदी ने कांग्रेस सरकार द्वारा देवभूमि में पांच दानवों को पनपने देने का आरोप लगाया था. प्रधानमंत्री ने खनन माफिया,वन माफिया,ड्रग माफिया,टेंडर माफिया और ट्रांसफर माफिया को देवभूमि का दानव करार दिया था.
विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही प्रदेश में रैलियों का सिलसिला रफ्तार पकड़ने लगा है. हिमाचल में इस वक़्त वैसे तो मौसम सर्द है पर राजनीतिक पारा बिल्कुल चढ़ा हुआ है. जो मुकाबला मोदी और वीरभद्र का दिख रहा था वोफिर से हर हिमाचल विधानसभा चुनाव की तर्ज़ पर वीरभद्र बनाम धूमल हो गया. वर्ष 1998 से ही इन्हीं दोनों नेताओं के बीच शह और मात का खेल चल रहा है.
पहले हुए चार मुकाबले 2-2 से टाई रहा है. मतलब दो बार वीरभद्र तो इतनी ही बार धूमल को सूबे की तख्त पर काबिज़ होने का अवसर मिला है.
पिछले 3 चुनाव में देखें तो हर बार सत्ता बदलने का ट्रेंड रहा है. साल 2003 में राज्य की 68 विधानसभा सीटों में भाजपा को 16 तो कांग्रेस को 43 सीट मिली थी. वहीं 2007 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ 41 सीट हासिल किए थे तो कांग्रेस को 23 सीट से संतोष करना पड़ा था. वर्ष 2012 में कांग्रेस को 36 तो भाजपा को 26 सीटें मिली थी. हिमाचल के जातिय समीकरण पर गौर करें तो यहां राजपूत 37.5%, ब्राह्मण 18%, दलित 26.5%, गढ़ी 1.5% और अन्य 16.5% मौजूद हैं. प्रदेश में वीरभद्र पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और पार्टी की लगातार गिरती साख कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा करने वाला है. इसके अलावा भाजपा के लिए नोटबंदी और जीएसटी पर लोगों को कन्वेंस करना एक चुनौती होगी.
बहरहाल जैसे-जैसे चुनावी तारीख नजदीक आ रही है, वैसे इस सर्द प्रदेश का माहौल गर्म होता जा रहा है. वैसे 9 नवंबर के दिन इतिहास के नजरिये से इस प्रदेश के लिए काफी महत्वपूर्ण है. लगभग 114 साल पहले इसी दिन पहली रेलगाड़ी शिमला पहुंची थी. ऐसे में देवभूमि हिमाचल में किसकी गाड़ी ट्रैक पर रफ्तार के साथ बढ़ते हुए मंज़िल को पाती है और कौन इंजन की भाप की तरह हवा हो जाता है ये 18 दिसंबर को पता चलेगा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भाषणबाज़ी से हासिल होगा सिंहासन और इस जुबानी जुंग की शोर में असल मुद्दे जैसे नदारद हो गए हैं.

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