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दुआ हमारी भगवन से (प्रो० अंजली)

कविता
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लेते हुए विदाई यहाँ से
अपनी यादों का समंदर लेती जा !
पढें -लिखें महान बने हम ,
ऐसी शिक्षा देती जा !
बड़ी बहन बनके चलना सिखाया तुमने
स्नेहमयी माता जैसा दुलार किया –
आँखे नम है शायद इसलिए
तुमने इतना प्यार दिया !
खुश रहना तुम वहा !
खुशहाली की देवी तुम्हारी दासी हो!
वहां तुम को उतना प्यार मिले !
जिसके तुम अभिलाषी हो !
हम सब दुआ इस कदर देंगे
कि हर दम उसका तुमको एहसास रहे !
हर दिन तुमको बुलंदी मिले !
किसी प्रकार की दुःख न तुम्हारे पास रहे !
आँखों में नमी न आये कभी तेरे !
हर दम बसंत का मौसम लहराये !
दीवाली , छठ और होली हो हमेशा !
कभी तेरे जीवन में न पतझड़ आये !
अभिषेक अनंत

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