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यह दिवाली कुछ ऐसे मनाये

कविता
कविता
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दीप जलेगा उजाला बढ़ेगा !
होगा विजय अंधकार पे प्रकाश का .
पर ,
यह दिवाली कुछ ऐसे मनाये-
अपने मन का मैल मिटायें
ईर्ष्यां -द्वेष मिटा दें अपने दिल से
और प्रत्येक व्यक्ति अपने में मानवता का संचार कराये !

जरूरतमंद की सेवा , भगवान की सेवा से कम नहीं .
देखियें , आपके सामने हो कोई आँखे नम नहीं .
मनुष्य होकर यदि मानवता हम न करें :
तो समझे हम- तुम मानव ही नहीं .

आइये इस दिवाली कसम ये खालें !
अपने अंदर का स्वार्थी भेद -भाव मिटा दें !
मानवता के लिए जीये मरें !
ऐसी अपनी दिनचर्या हम बना लें .
मैं मानता हूँ इस समय में करना यह काम कठिनतम है,
पर , मेहनत का होता मीठा फल है .
हम सुधरेंगें आज , पीढ़ियां सुधरेंगी कल !
परिवर्तन हम इस दिवाली अपना लें !
अभिषेक अनंत
०१.११.२०१५

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