कविता
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जब मैं नवजात था
रोता था स्तनपान के खातिर.
शिशुवस्था में उछल कूद किया –
छोटी छोटी वस्तुओं को जानने के खातिर .
युवावस्था में दौड़ा बहुत –
धन और सम्मान इकठा करने के खातिर .
बृद्धावस्था में अब भी रोता हूँ –
जिंदगी तो मैंने केवल भागदौड़ में गुजार दी !
खुद के बारे में सोचने का मौका हैं नहीं मिला !
और अब क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत ?
अभिषेक अनंत
एम ए अंग्रेजी (बी ० एच ० यू ०)
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