कविता
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लड़कियां दिख रहीं हैं बिंदास !
लड़कें बन रहे हैं इनके दास !
परीक्षा परिणाम भी आ रहा लेकर अंतर खास .
लड़कियां दिख रहीं हैं बिंदास .
इनके बिंदासपण का क्या कहना ?
भड़काऊ कपडा है इनका गहना !
किसी के लिए प्रेम की देवी ,तो किसी के लिए घृणा !
यही समाया इनमें आज .
हर तरफ इनकी चर्चा ,
लड़कें उठा रहे हैं मोबाइल का खर्चा !
यही से अंतर शुरू होता हैं -जो करते बात रातों-रात !
लड़कें क्यों बिगड़ गए हैं आज .
सब करते हैं इनकी निंदा ,
फिर भी हैं सबको इनकी चिंता ,
आजतक दुरी बनी रही , हो रहा हैं ऐसा एहसास !
लड़कियां दिख रहीं हैं बिंदास .
अभिषेक अनंत
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