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मेरा पहला करवाचौथ

रूबरू जिंदगी
रूबरू जिंदगी
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दशकों से करवाचौथ पर मम्मी को पापा के लिए व्रत रखते हुए देखा, पर कभी भीइसमें कुछ अजीब नहीं लगा। पर जब मेरी शादी हुई तो करवाचौथ को असल में समझ पाया।

चूंकि दिल्ली में न्यूक्लियर फैमिली में रहता हूं, तो पत्नी के पहले करवाचौथ पर एक बड़ी समस्या से रूबरू हुआ। समस्या यह थी कि पत्नी के साथ करवाचौथ की शाम कौन करवा क बदलेगा। जो लोग करवाचौथ के बारे में नहीं जानते, उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि शाम को चांद देखने से पहले महिलाएं आपस में एक दूसरे से करवा बदलती हैं। करवा बदलने का अपना एक अद्भुत तरीका होता है। एक महिला अपना दायां पैर दूसरी महिला के बाएं पैर से जोड़ती है और फिर दोनों बारी-बारी से अपने पैरों के नीचे से करवा एक दूसरे को पकड़ाती हैं।

तो साहब यह तो रहा करवा बदलने का स्टाइल। अब बात फिर से अपने पहले करवाचौथ की ही करता हूं। चूंकि शादी का एक महीना ही हुआ था, ऐसे में पत्नी को किसी भी हाल में उदास दे्खना नहीं चाहता था, तो बस उसको कह दिया कि तुम चिंता मत करो, सब इंतजाम कर दूंगा। पर जब कुछ नहीं सूझा तो मैंने खुद ही उसके साथ करवा चेंज करने की ठानी।

बस फिर क्या था करवाचौथ के दिन पूरे दिन कुछ नहीं खाया, पेट में दिन भर चूहें घूमते रहे, मन भी हुआ कि चुपके से कुछ खा लूं, पत्नी को क्या पता चलेगा। पर फिर अंतरात्मा की आवाज पर खैर कुछ नहीं खाया। पर चलिए जैसे तैसे दिन निकल
ही गया और चांद नजर आ गया। बस फिर क्या, पत्नी के साथ रीतिरिवाज निभाते हुए करवा बदलने की परंपरा अपनाई। बस फिर क्या था जैसे ही चांद को अर्घ्य देने के बाद पत्नी ने मेरी ओर चलनी से देखा उसकी आंख भर आई। उसने तुरंत गले से लगाते हुए कहा कि आई लव यू।

बस आज भी हर करवाचौथ पर पत्नी का वही चेहरा याद रहता है। तब से अब तक हर करवाचौथ पर जब पूरे दिन के व्रत के बाद करवा बदलता हूं, तो लगता है कि शायद आने वाले साल की उसकी सब बलाएं खुद पर ले लूं। तो दोस्तो एक बार पत्नी के साथ करवाचौथ पर व्रत रखकर तो देखिए, कितनी खुशी आपको मिलेगी और हां पत्नी की खुशी का तो आप अंदाजा ही नहीं लगा सकेंगे। सो हैप्पी करवाचौथ टू ऑल ऑफ यू।

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