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‘द थिंक क्लब पब्लिकेशन्स’ ने इस वर्ष का ‘बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड’ रवांडा (अफ्रीका) में जन्मी इम्माक्यूली इलीबागीज़ा (1972) को उनकी पुस्तक ‘लेफ्ट टु टेल’ को प्रदान करने की जब घोषणा की तब साहित्य जगत में यह नाम चर्चा में आया। ‘द थिंक क्लब पब्लिकेशन्स’ का यह पुरस्कार अल्पज्ञात और उभरते रचनाकारों को प्रदान किया जाता है।
वर्ष 1994 की बात है। इम्माक्यूली नेशनल यूनीवर्सिटी से इलैक्ट्रीकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कर रही थीं। इसी समय उनके देश में जातीय एवं मजहबी हिंसा भड़क उठी। उनके परिवार के सभी सदष्यों की हत्या कर दी गयी; पर इम्माक्यूली किसी तरह से बच निकलीं। इन विषम स्थितियों में उनकी आस्था जगी और वे परमेश्वर में विश्वास करने लगीं। इसी दौरान वे यूनाइटेड नेशन्स की सदष्य बनी और चार वर्ष बाद न्यूयार्क चली आयीं।
2006 में स्टीव इरविन के साथ लिखी अपनी बेस्ट सेलर पुस्तक ‘लेफ्ट टु टेल’ (कहने को बाकी) में उन्होंने अपनी पिछली जिन्दगी के तमाम कटु अनुभवों को उजागर करते हुए कहा कि सच्ची आस्था एवं विश्वास जीवन को ऊर्जा प्रदान करता है और यह ऊर्जा जीवनीशक्ति बनकर विषम परिस्थितियों में हमारा मार्ग प्रशस्त करती है। ऐसे में जीवन में आया भय और दुःख शांति, प्रेम, दया, क्षमा और करुणा का रूप लेकर जीव मात्र के हित की प्रेरणा देते हैं।
2007 में उन्होंने ‘लेफ्ट टु टेल चेरिटेबल फंड’ की भी स्थापना की, जिसके माध्यम से वे रवांडा के अनाथ बच्चों की सहायता करती हैं। इसी वर्ष शांति और सद्भावना का सन्देश देनेवाली इम्माक्यूली को ‘द महात्मा गांधी इंटर्नेशनल अवार्ड’ से विभूषित किया गया था। वर्तमान में इम्माक्यूली प्रवक्ता और लेखक के रूप में कार्य करते हुए समाज सेवा कर रही हैं।
विगत वर्षों में ‘बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड’ अवनीश सिंह चौहान (2012), मेरी रोच (2011), क्ले शिरकी (2010), चार्ल्स आर मोरिस (2009), माइकल गेट्स गिल (2008), कार्ल सागन (2007), सिंडी ला फरले (2006), टॉम वोल्फ (2005), फ्रेड रोजर्स (2004), स्टीफेन हाकिंग्स (2003), डेविड मेकक्लो (2002), डावा सोबेल (2001), दलाई लामा (2000) को प्रदान किया जा चुका है।
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