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दुनियां में हैं यार बहुत

पूर्वाभास
पूर्वाभास
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दुनियां में हैं यार बहुत
सच्चे बस दो-चार बहुत

कुछ भी माना पास नहीं
रमुआ है दिलदार बहुत

करता हरदम काम बुरा
मन से वह बीमार बहुत

मन के जीते जीत यहाँ
मन के हारे हार बहुत

अनुभव अपना बोल रहा
सुन्दर घर-संसार बहुत

कबिरा ने उपदेश किया
कर लो सबसे प्यार बहुत

अच्छा हो कुछ काम अगर
नन्हा-सा किरदार बहुत

– अवनीश सिंह चौहान

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