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वाराणसी में हुए बम कांड पर कई दिनों से लिखना चाह रहा था , पर दो कारणों से लिख नहीं पाया , एक तो क्रोध और दूसरा नेट की समस्या , क्रोध में कुछ लिखना नहीं चाहता क्योंकि सुना है की क्रोध व्यक्ति को अँधा कर देता है और वो सोचने समझने की शक्ति खो देता है , और दूसरा के यहाँ इन्टरनेट हिंदी फोन्ट सपोर्ट नहीं कर रहा है इस लिए भी नहीं लिखा सका. अब तो मुझे मंच पर कमेन्ट भी रोमन हिंद में करना पड़ रहा है.
अब रही इस शर्मनाक घटना की बात , तो इसकी जितनी भर्त्सना की जाय उतनी कम है . मै यही सोच रहा था की इस काण्ड का कारण क्या था ? किस बात से प्रेरित हो कर इस घटना को किया गया ? वैसे हर आतंकवादी घटनाओं के पीछे एक ही कारण होता है , निर्दोषों की हत्या और लोगों में भय फैलाना . क्या इस घटना के पीछे भी यही कारण था ? क्या इसके पीछे ये कारण था की 6 दिसंबर को वाराणसी में दोनों ही सम्प्रदाय के लोगों ने मिलजुल कर , साथ बैठ कर ये निर्णय लिया था की कोई ऐसी अप्रिय घटना नहीं होने देंगे जिस से समाज में द्वेष फैले , और ऐसा हुआ भी , बिना किसी घटना के ये दिन बीत गया , क्या ये इस शान्ति को भंग का षड्यंत्र था , या इस बात से चिढ कर इसका बदला लिया गया ki ऐसा क्यों नहीं हुआ ? आखिर ये काण्ड क्यों किया गया ?
फिर मैंने सोचा की क्या मिला इस जघन्य घटना को करके इन आतंकवादियों को ? उन्होंने क्या पाया , 2 मासूम बच्चों की बलि ?क्या इस से उनको अपने धर्म के प्रचार में सफलता मिली , बढ़ावा मिला ?क्या लोग इस बम काण्ड से इस्लाम से प्रभावित हुए की वाह — क्या धर्म है , और हमें इस धर्म को अपनाना चाहिए , या ये की क्या धर्म है जो निर्दोष लोगों की हत्या को बढ़ावा देता है ? क्या लाभ हुआ इस बम कांड को करने वालों को , या ये कहें उन दानवो को जिन्होंने इस काण्ड को अंजाम दिया ?
अगर मै कहूं की वो अपने हर इरादों में नाकाम हुए तो गलत नहीं होगा , अगर उन्होंने ये सोचा था की इस बम से डर कर लोग घर में बैठ जायेंगे तो उनको देखना चाहिए की दुसरे ही दिन फिर से वैसे ही प्रातः आरती हो रही थी , लोग सड़कों पर थे और रोज़ की तरह ही ……… वो अपने इस मकसद में असफल रहे . अगर वो ये चाहते थे की दोनों संप्रदाय में द्वेष फैले और इसके कारण सडको पर फिर एक बार दोनों तरफ के लोगों का खून बहे तो बनारस के लोगों ने दिखा दिया की ऐसा नहीं होगा , हम तुम्हारे नापाक इरादों को सफल नहीं होने देंगे . अगर उनका मकसद केवल किसी मासूम की हत्या के बाद जन्नत जाना था तो वो भी नहीं होगा , जहाँ तक मै जानता हूँ , किसी भी धर्म में निर्दोष लोगों की हत्या का फल जन्नत नहीं होता , और एक निर्दोष की हत्या पूरे मानवता की हत्या है .
अंत में इस घ्रणित कर्म को करने वालों को ये ही कहूँगा की तुम नफरत के काबिल हो , क्योंकि ऐसे कर्म के बाद तुम किसी का प्यार कभी नहीं पा सकते , चाहे वो किसी भी धर्म का हो , तुम को क्या लगता है ki इस्लाम के मानने वाले तुमको इस कृत्या के बाद हीरो समझने लगेंगे ? नहीं —तुम उनके लिए भी इतने ही घृणा ke पात्र हो जितना हमारे लिए
तुम अपने हर नापाक इरादों में असफल थे , असफल हो और असफल ही रहोगे ……..…
तुम कायर अमानुष वहशी दरिन्दे….. तुम डरपोक ……………….
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