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आज बड़े दिन के बाद फिर से एक कहानी की याद आ गयी जो की बहुत पहले सुनी थी , और कहानी तो दादा /दादी , नाना / नानी ही सुनाया करते थे , क्योंकि अब तो कार्टून और सीरिअल्स का ज़माना है , कहानी कौन सुनता / सुनाता है?
कहानी कुछ इस तरह की थी की के किसी जंगल में 4 बैल रहते थे , वो सदा साथ रहते थे , और अगर कोई उनमे से किसी एक पर भी आक्रमण करता था तो , चारो मिल कर उस पर टूट पड़ते थे , और इस कारण से किसी की जानवर की हिम्मत नहीं पड़ती थी कि उनपर आक्रमण करे , उन चारो में आपस में बड़ा प्रेम था , और वो सदा मिल बाँट कर खाते पीते और साथ में रहते थे . उसी जंगल में कुछ भेड़िये भी रहते थे , जिनके मुंह में उन मोटे ताज़े बैलों को देख कर सदा पानी आ जाता था , एक – दो बार उन्होंने उन पर हमला करने का प्रयास किया लेकिन उन को ऐसी मार पड़ी की आपनी जान बचा कर भागते बना .
आखिर में उन्ह्नोने एक उपाय सोचा , उन्होंने सोचा की इन चारों पर एक साथ काबू पाना संभव नहीं है इस लिए इनको एक दुसरे से अलग करना चाहिए . वो मौका ढूंढते रहे की कैसे इनमे से अकेले कोई अकेले मिले भले केवल कुछ समय के लिए ही , एक दिन उन्हें ऐसा मौका मिल गया , उन भेदियों में से एक, उन चारों में से एक के पास गया और जाकर उससे बिना कुछ कहे केवल मुंह हिलाने लगा जैसे की कुछ कह रहा है , फिर जैसे ही बाकी बैलों ने देखा वो ये कहते हुए भाग गया की ये बात केवल अपने तक रखना ….….., उसके जाने के पश्चात बाकि बैलों ने उससे पूछा की वो क्या कह रहा था ? उस बैल ने कहा की उसने कुछ नहीं कहा बाकि पर बैलों के मन में संदेह पैदा हो गया की कहीं ये ………………….., धीरे धीरे उन भेड़ियों की ऐसी ही चालबाजियों से चारो के मन में , एक दुसरे के लिए संदेह पैदा कर दिया और वो एक दुसरे से कटे – कटे रहने लगे और फिर कुछ समय के पश्चात वो एक दुसरे के साथ रहने के बजाये अलग अलग …………………., मौके का फायदा उठा कर एक दिन उन भेड़िये ने अकले बैल पर हमला कर उसे अपना आहार बना लिया और बाकी बैलों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ …………..
इस कहानी से हमें ये सिखाया जाता था की एकता में ही बल है, और अगर हम एक रहेंगे तो हमें कोई नहीं हरा सकता , चाहे वो कोई भी हो .
कुछ ऐसी ही स्थिति हमारी और हमारे देश की है , आज हमारी एकता को तोड़ने की हमारे पडोसी देश के द्वारा जी जान से प्रयास किया जा रहा है , और उसने भी कुछ ऐसा ही मार्ग चुना है जैसा की उस भेड़िये ने …….., हम में एक दुसरे के लिए , एक दुसरे के मन में संदेह पैदा किया जा रहा है , और इसके लिए सबसे बड़ा हथियार है धर्म , जाति , क्षेत्र आदि . उसने कहीं इस्लामिक आतंकवाद तो कहीं भगवा आतंकवाद, कहीं नक्सलवाद तो कहीं उग्रवाद जैसे शब्दों का सहारा लेकर हमको बाँट ने का रास्ता अपनाया है . वो हर को कहता है की दूसरा गलत है और वो ही सही है .
धर्म आदि काल से , हमारे लिए अमृत और विष दोनों का काम करता आ रहा है , धर्म का नाम लेकर देशों को जीता जाता था , असल अभिप्राय होता था हमारे देश की अकूत धन सम्पदा को लूटना पर नाम होता था धर्म का , और आज भी धर्म के नाम पर आतंकवाद को किस तरह बढ़ावा दिया जा रहा है ये जग विदित है , मासूमो की जान लेना …………., दुःख इस बात का होता है की इस खेल में हम भी अपने शत्रुओं के हाथ का मुहरा बन जाते हैं और वैसा ही करते हैं जैसा हमारे शत्रु हम से चाहते हैं .
आज समय है की हम अपने इस शत्रु के इस खतरनाक खेल को समझें , और उसका मुंह तोड़ जवाब दें , हमें आपस में एक दुसरे के लिए मन में संदेह नहीं रखना चाहिए बल्कि मिल कर , एकता के साथ , अपने दुश्मन का सामना करना है , उसके (ना) पाक इरादों को मट्टी में मिला देना है . देश को स्म्रिधि और विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए हमें एक साथ , प्रयास करना होगा , और धर्म का प्रयोग समाज सुधर के लिए करना होगा नाकि समाज को …….…
यही बात मंच के अपने भाइयों /बहनों से भी कहना चाहूँगा , धर्म एक ऐसा विषय है जिस पर बड़ी आसानी से किसी को भी उत्तेजित /क्रोधित किया जा सकता है , पर ये हमारा निजी मामला है , हम इस मंच पर अगर धर्म के ऊपर लिखना ही चाहते हैं तो प्रेम बढ़ाने के लिए लिखें ना की द्वेष फ़ैलाने के लिए . अगर आप दुसरे धर्म के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लिए नहीं के उनके अन्दर की कमियां और बुराइयां ढूंढें बल्कि उसके अच्छी ………., कुछ लोग अक्सर ऐसे विषयों को लेते है ताकि उसपर विवाद पैदा हो और फिर ढेर सारे कमेन्ट मिलें और ऐसा बराबर होता भी है . ये मंच एक युद्ध क्षेत्र नहीं है जहाँ पर हम एक दुसरे पर दोषारोपण करें , इसे प्यार बढ़ाने का , एक दुसरे से जुड़ने का , एक दुसरे का अपनाने का स्थल बनाया जाए नहीं की कटुता और …………
आशा है की मेरे इस अनुरोध को आप सभी का समर्थन मिलेगा.
आप सब का “अपना” अबोध
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