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महिलाओं को शिक्षा की क्या आवश्यकता है, परिचर्चा हेतु, ये हमारे समाज का एक बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा है। महिलाओं की शिक्षा की आवश्यकता को बताने से पूर्व हमे यह जानना चाहिए की शिक्षा क्या होती है और इसकी हमारे समाज में क्या आवश्यकता है? शिक्षा, यह एक ऐसा आभूषण है जो मनुष्य को संस्कारवान और सुशील बनाता है, जैसे हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी होता है उसी प्रकार से हम मनुष्यों के जीवन में शिक्षा की महत्ता होती है। बिना शिक्षा के एक व्यक्ति जानवर के समान हो जाता है क्योंकि शिक्षित होना ही एक वजह है की हममे और जानवरों में भेद होता है।
अब बात आती है महिला शिक्षा की हम जानते सुनते आ रहे है की पहले के समय में हमारे देश में महिलाओं को शिक्षित करना आवश्यक नही समझा जाता था, क्योंकि समाज का मानना था की महिलाओ का काम खाली घर गृहस्थी ही देखना था उनका पूरा समय अपने घर परिवार में ही बीतता था। दो मिनट इस बात पर ढंग से गौर किया जाये तो मिलता है की क्या बिना शिक्षा के क्या यह सम्भव है कोई व्यक्ति घर बार ढंग से चला पाया हो। चलिए एक उदारहण लेते है अगर घर में कोई बच्चा जन्म ले तो सर्वप्रथम उसकी माँ ही उससे बोलना सिखाती है यही उसकी मातृभाषा होती है बच्चों में संस्कार सृजित करने का कार्य माँ ही करती है अगर माँ ही शिक्षित न हो उसे संस्कार देना ही न आता हो तो वह बच्चे को क्या संस्कारवान बनाएगी,अगर कभी कोई घर में बीमार पड़ जाये तो अशिक्षित माँ क्या उसका उपचार करेगी क्योंकि हम अक्सर ही देखते ही जब हम बीमार पड़े है हमारी माँ ही हमारा सर्वप्रथम घरेलू उपचार की है|
संस्कृत में एक उक्ति प्रसिद्ध है-“नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ती मातृ समोगुरु” इसका मतलब यह है की इस दुनिया में विद्या के समान कोई क्षेत्र नही है और माता के समान कोइ गुरु नही है और कहा भी जाता है की परिवार ही हमारा सर्वप्रथम पाठशाला होता है और माँ ही सर्वप्रथम गुरु तो माँ का शिक्षित होना आवश्यक क्यों नही है वर्तमान दौर में यह बात सर्वमान्य है की महिलाओ को भी शिक्षा का उतना ही अधिकार है जितना की पुरुषों का और यह बात सर्व सिद्ध है की जिस देश में महिलाएं शिक्षित नही होंगी उस देश की संतानों का कल्याण कदापि नही हो सकता। अगर हम प्राचीन काल की ओर देखते है तो हम पाते है की प्राचीन काल में हमारे देश का आदर्श नारी के प्रति श्रद्धा और सम्मान का रहा है पूर्व काल में नारियां घर गृहस्थी के साथ राजीनीति समाज आदि हर जगह रूचि रखती थी लेकिन समय के साथ नारियों के शोषण के साथ साथ उनको इन सब से वंचित कर दिया गया।
अब जब बात शैक्षिणिक शोषण की आती है तो इससे बचने का एकमात्र उपाय है नारी का शिक्षित होना , शिक्षा का अर्थ केवल अक्षर ज्ञान नही है अपितु शिक्षा का अर्थ है हर पहलु की जानकारी होना होता है। प्राचीन काल में स्त्रियों का पढ़ना अनर्थ समझा जाता था और उनके द्वारा किया गया अनर्थ उनके पढाई का ही परिणाम माना जाता था अगर ऐसी बात है तो पुरुषों द्वारा किया गया कृत्य जैसे चोरी, डकैती, बम फेकना इत्यादि कार्य यह भी तो उनके पढाई का ही परिणाम होना चाहिए इस हिसाब से तो हर स्कूल कॉलेज बंद हो जाने चाहिए।
प्राचीन काल का एक उदारहण लिया जाये तो शकुंतला ने दुष्यंत को कुछ कटु वाक्य कहे थे जिसको उनकी शिक्षा का ही परिणाम माना जाता है लेकिन कटु वाक्य कहकर शकुन्तला ने कोनसी अस्वभाविकता दिखाई अगर वह अत्याचारों से तंग आकर कुछ कटु वाक्य कहती है तो इसमें गलत क्या है?अगर वह कटु वचन न कहती तो क्या दुष्यंत की तारीफ करती की वाह! आर्य पुत्र आपने बहुत ही अच्छा कृत्य किया है मुझसे गन्धर्व विवाह करके आप मुकर गये। आप तो न्याय और धर्म की सापेक्ष मूर्ति है! जब पुरुष यही कृत्य करे तो ठीक लेकिन महिला यही कम करे तो उसकी मुर्खता और उसके शिक्षा का परिणाम! यह कहाँ का नियम है? कुछ लोगो का मानना है की पूर्व काल में स्त्रियों का पढ़ना न आवश्यक था ही नाही वह पढ़ी थी तो उन लोगो के लिए मै कहना चाहूंगी शायद आप ने अत्री की पत्नी के बारे में नही सुना जो पत्नी धर्म पर घंटो व्याख्यान दी थी, गार्गी का नाम नही सुना जिन्होंने शास्त्रार्थ में बड़े बड़े ब्रह्म्वर्दियो को हराया था, मण्डन मिश्र की पत्नी जिन्होंने शंकराचार्य के छक्के छुड़ा दिए थे।
अगर फिर भी कुछ लोग मानते है की स्त्रियाँ पढ़ी लिखी न थी तो चलिए मान लेते है की उस समय उनको पढ़ना आवश्यक न समझा गया हो लेकिन अब तो जमाना बदल गया है अब तो नारी को शिक्षित होने की आवश्यता है न जाने कितने पुराने नियमो कायदों को हम तोड़ते चले आ रहे है और कहते आ रहे है की नियम तो बने ही है टूटने के लिए तो क्यों न इस नियम को भी तोडा जाये और स्त्री को शिक्षित किया जाये। ऐसा किया भी जा रहा ही सरकार ने महिलाओं को पढाने हेतु कई योजनाये बनाई है और उनका फयद लेते हुए महिलाये आगे भी आ रही है और हम सब प्रत्यक्ष रूप से देख भी रहे है की किस प्रकार से महिलाये हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है फिर भी कुछ राज्य ऐसे है अभी जहाँ पे स्त्रियों को पूर्ण रूप से शिक्षा न मिल पा रही है उनके लिए मै कहना चाहूंगी की कोई देश तरक्की के शिखर तक तब तक नही पहुंच सकता जब तक उसकी महिलाएं शिक्षित न हो। महात्मा गाँधी की चंद लाइन कहना चाहूंगी की-“ एक पुरुष को शिक्षित करोगे तो एक व्यक्ति शिक्षित होगा लेकिन एक महिला को शिक्षित करोगे तो पूरा परिवार शिक्षित होगा”। क्योंकि महिला एक वो ऐसा कोहिनूर हीरा है जो एक नही दो दो घरो को रोशन करेंगी।
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