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लिखेंगे संघर्ष ही हम

kavita
kavita
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रह गए कुछ अगाये
कुछ अनछुए
जो गीत !
फिर कभी मिलना
सुना देंगे तुम्हें
हम मीत !!
=
है बहुत फिसलन डगर में
जिंदगी की
रह गई कीमत नहीं अब
वन्दगी की
=
पड़ गई आज
फीकी सुनहली
वह रीत !
फिर कभी मिलना
सुना देंगे तुम्हें
हम मीत !!
=
दर्द के रिश्ते बहुत
संधील होते
जल रहे ज्यों पंक्ति में
कंदील होते
=
राह में मिलती नहीं अब
बटोही को प्रीत !
फिर कभी मिलना सुना देंगे
तुम्हें हम मीत !!
=
मिल रहे पग-पग
यहाँ पर ज़ख्म
गहरे
भावनाओं पर पड़ें
दिन – रात
पहरे
=
लिखेंगे संघर्ष ही हम
हार हो या
जीत !
फिर कभी मिलना
सुना देंगे तुम्हें
हम मीत !!
=
खोजता हूँ मिले ऐसा
एक साथी
क्रान्ति की फिर सुलग जाए
आज भाँथी
=
हो गए हैं आज
सत्ता के यहाँ
सब क्रीत !
रह गए कुछ अगाये
कुछ अनछुए
जो गीत ……… फिर कभी…………….!!

आचार्य विजय गुंजन

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