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कट गए त्रासदी के अब दिन

kavita
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हो गई फतह दिल्ली भाई
अब पूरा देश निशाना है !
=
दिन-रात एक कर देंगे हम
धरती को स्वर्ग बनायेंगे,
झुग्गी-झोपड़ियों में फिर से
आशा के दीप जलाएंगे |
=
निर्धनता है अभिशाप आज अब
जड़ से उसे मिटाना है !
हो गई फतह दिल्ली भाई
अब पूरा देश निशाना है !!
=
बेवशी आंसुओं में बहकर
बेकार नहीं अब जाएगी,
कुछ उम्मीदों के चटख रंग की
फसलें नई उगायेंगी |
=
घर-घर को घेरे अन्धकार के अघ को दूर भगाना है !
हो गई फतह ……………………………………………..!!
=
कट गए त्रासदी के अब दिन
दुःख के बादल छँट जायेंगे ,
यह है अमीर वो है गरीब
मिलकर हम फर्क मिटायेंगे |
=
सबके दिल में समरसता का मनभावन अलख जगाना है !
हो गई फतह …………………………………………………..!!
=
अब राग-द्वेष ईर्ष्या तजकर
बगिया को सुन्दर करना है,
निरपेक्ष धर्म रह भारत को
सपनों से सुन्दर रचना है|

=
झूठे कुतर्क में पड़कर अब कीमती समय न गँवाना है !
हो गई ………………………………………………………!!
=
अब अमन-चैन- सुख -शांति – पताका
युग -युग तक लहराएंगे ,
नित गंगा -यमुना -संस्कृति – धारा
कण- कण में हहरायेंगे |
लो नई क्रान्ति का ले मशाल अब निकल पड़ा परवाना है !
हो गई फतह दिल्ली भाई अब पूरा देश निशाना है !!
आचार्य विजय गुंजन

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