kavita
- 66 Posts
- 1620 Comments
आज जागरण- जंक्शन के सारे नक्षत्र
हैं साहित्याकाश में चमक रहे सर्वत्र |
******************
चमक रहे सर्वत्र तेज से आलोकित हैं
भ्रष्ट- आचरण वाले डर से दोलायित हैं |
कह गुंजन कवि जहाँ न रवि की किरण पहुँचती
वहां पहुँच इनकी आभा इतिहास विरचती |
*****************
शशिभूषण जी- रक्तले औ आनंद प्रवीण
आस्तिक जी औ कृष्ण जी रचते सदा नवीन |
रचते सदा नवीन यहाँ पुष्पा-अलीन भी
जयप्रकाश- गौरव- मीनू – तोशी तरीन भी |
कह गुंजन कवि निशा-दीप कुशवाहा भी हैं
इस होली में भरे रंग ये भर- भर जी हैं |
****************
बनारसी जी- अनामिका-चन्दन औ, राजीव,
रहे फाग में डालते ये तमीज़ की नीव |
ये तमीज़ की नीव मगर सब फेल हो गए
सभी मस्त हो भंग- नशे में चूर सो गए |
कह गुंजन कविराय यहाँ सब संयम टूटे
नाचे खुश हो-होकर कुछ,तो कुछ हैं रूठे |
Read Comments