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ये हैं शंख डपोर

kavita
kavita
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दागी -वैरागी -अनुरागी कोई है कर-खोर ,
सूरत बदल- बदल कर बैठे संसद में हैं चोर
धवल वसन धारण कर-कर ये लगते हैं सब हंस
अन्दर से पर छली -प्रपंची क्रूर -कुकर्मी -कंस
डरावनी इनकी छाया जन-मन को रही झिंझोर |
सूरत बदल- बदल कर बैठे संसद में हैं चोर ||
चारा- खनन- कहीं मेधा तो कहीं यूरिया भारी
भूखंडों के आवंटन में दिखे कहीं लाचारी
घोटालों से भरे देश के नायक ये बेजोड़ |
सूरत बदल-बदल कर बैठे संसद में हैं चोर ||
ये हैं ऐसे कलाकार नेतृत्व न केवल करते
स्वाद बदलकर निज तन-मन में राग-रंग हैं भरते
सहज किसी भँवरी के प्राणों की कट जाती डोर |
सूरत बदल-बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||
कई-कई चीनी मीलों के बने हुए ये स्वामी
उच्च कई शिक्षण संस्थानों के भी ये सरजामी
धन-सम्पदा कहाँ इनकी कितनी है ओर न छोर|
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में हैं चोर |
आज यहाँ चप्पे- चप्पे में महंगाई -बेकारी
अपने-अपने घर भरने की इनकी कारगुजारी
भ्रष्ट आचरण आज देश की कमर रहे हैं तोड़ |
सूरत बदल-बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||
समय- समयपर आश्वासन के ये हैं सिन्धु बहाते
धूल झोंककर आखों में जनता को हैं भरमाते
बोलेंगे पर कभी न देंगे ये हैं शंख डपोर |
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||
साथ रहेंगे साथ न देंगे यह कैसी नादानी
अबुझ पहेली बन रह जाती इनकी उलट वयानी
कैसा यह गठबंधन औ कैसी यह गंठजोड़ |
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||
राजनीति में वंशवाद का रिश्ता रहा अनोखा
इस रिश्ते से पग- पगपर है मिला राष्ट्र को धोखा |
ऐसे ही कुछ लोग देश के बने हुए हैं कोढ़ |
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||
एक अकेला गाँधीवादी खड़ा उधर है अन्ना
नाग बने फुंफकार रहे काले धनवाले धन्ना
जहर भरे इनके दांतों को देना है अब तोड़ |
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में है चोर ||
पता नहीं गिर कहाँ गया इनके दीदे का पानी
कई रंग में रंगी हुई है इनकी राम – कहानी
सोने की चीड़ी का सब मिल गर्दन रहे मरोड़ |
सूरत बदल- बदलकर बैठे संसद में हैं चोर ||

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