kavita
- 43 Posts
- 42 Comments
पीर तकदीर को भी आज तू ललकार दे |
तू भागीरथ बन धरा को आज गंगा धार दे ||
सच यही है प्यार दुनिया का मिला तुझको नहीं |
आज है लाचार दुनिया तू इसे भी प्यार दे ||
मुफ्लिशों का भी मुकद्दर हो रहा नीलाम है |
मुफ्लिशों को जंग की तालीम दे तलवार दे ||
आँख का पानी बताता आग तेरे दिल में है |
है हुई गन्दी सियासत आग की फुफकार दे ||
भूख से मरना नहीं तुम जंग में लड़कर मरो |
कब्र से लाशें बुला ले उनको तू हथियार दे ||
मुफ्लिशी की पीर अब ये मुल्क ना सह पायेगा |
जलजला बन क्रांति का अब क्रांति की झंकार दे ||
चाह शिव तांडव की है तो शर्त शिव की भी सुनो |
तख़्त तो हिल जाएगा पर हर जुबां हुंकार दे ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
Read Comments