Achyutam keshvam
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घूँघट में सब छुपा हुआ है सुख की रेखा दुख की चींखे।
टुकड़े -टुकड़े आजादी की किश्तों में मिलती हैं भींखे ।
वर है या अभिशाप ब्याहुली जीवन अपना जरा बताना ।
अनिकेतन बंजारे से हम कहीं न अपना ठौर ठिकाना ।
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