Achyutam keshvam
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अरि को तो जीत लिया
निज मन से हार गया
–
क्या कहती जरा देख
करतल की कुटिल रेख
मणि-मुक्ता-मन्त्र व्यर्थ
उर गहरे गड़ी मेख
तटिनी के तट डूबा
गहरे में पार गया
अरि को तो जीत लिया
निज मन से हार गया(१ )
–
शब्द-शब्द शब्दबाण
बींध दिए देह प्राण
कौन ठाँव जाऊं तो
पाऊं रे तनिक त्राण
कर से परसत प्रसून
कैसे बन खार गया
अरि को तो जीत लिया
निज मन से हार गया(२)
–
छोड़ तुम्हें कौन नाथ
देता है यहाँ साथ
बार-बार भूल तुम्हें
होम किया जले हाथ
किन्तु आज पुनः मात
तव अंकवार गया
अरि को तो जीत लिया
निज मन से हार गया(३)
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