भाड़ौ की महफिल में कविता बाई ठुमक-ठुमक घुमक-घुमक नाचीं शिष्टों ने मुहँ बिचकाया अशिष्टों ने सीटी दी हमने तो तालियाँ बजायीं मूर्ख-मंडली के साथ।
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