Menu
blogid : 14295 postid : 19

तेरह की हीर हुई, चौदह का राँझ।

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
  • 105 Posts
  • 250 Comments

तेरह की हीर हुई,
चौदह का राँझ।
गुन-गुनियाँ भोर हुई,
रुन-झुनियाँ साँझ।
पनघट उपवन निकुंज,
सब हुए पुराने।
सुबह-सुबह निकल लिए,
ट्यूशन बहाने।1

अलसायी आँखों में,
तपती सी प्यास।
बुलबुल ने भंग किये,
गुल के उपवास।
ओठों पर थिरक रहे,
फिल्मों के गाने।
सुबह-सुबह निकल लिए,
ट्यूशन बहाने।2

बचपन के माथे पर,
यौवन के लेखे।
शीशे में घंटौं तक,
खुद को ही देखे।
चिलमन में चोर छिपे,
घर-घर में थाने।
सुबह-सुबह निकल लिए,
ट्यूशन बहाने।3

माशूका गलियों में ,
साँझ तलक बैटिंग।
सैटिंग की आस लिये,
कैफे में चैटिंग।
काजोल-करीना के,
फोटो सिरहाने।
सुबह-सुबह निकल लिए,
ट्यूशन बहाने।4

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply