Achyutam keshvam
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स्वतःगले न अपने जल में ऐसी कोई बर्फ नहीं है.
भले विषैला होले जितना मनुज-मनुज है सर्प नहीं है.
तेरी गोदी एक चरण धर मैं वामन से विष्णु हो गया,
तेरे सम्मुख झुक न सकूँगा इतना मुझमें दर्प नहीं है.
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