Menu
blogid : 14295 postid : 1236460

पीपल की डाली पर बुलबुल फिर गाती है

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
  • 105 Posts
  • 250 Comments

पीपल की डाली पर
तिनकों को जोड़-जोड़
स्वप्नवत सलोना सा
घोंसला बनाती है

पतझड़ का गीत नहीं
बसंती तराना है
हर सुबह -शाम ढले
बुलबुल जो गाती है

निकलेंगे डिम्ब तोड़
उसके प्रतिबिम्ब कई
सोच यही विह्वल –
निज आँखों को मींचती

सांझ गगन रोली में
बोली की तूलिका
डोब-डोब कल्पना से
अल्पनायें खींचती

जीवन की बीन छीन
मृत्यु के हाथों से
फिर -फिर सहेज नीड़
बैठी बजाती है

होड़ लिए अंधड़ से
बातों ही बातों से
पीपल की डाली पर
बुलबुल फिर गाती है

अच्युतम केशवम की कविताएँ

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply