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सुषमा या मोदी में कौन प्रधानमंत्री पद का उपयुक्त उम्मीदवार है? उत्तर है दोनों।दोनों योग्य हैं।
न केवल ये दोनों बल्कि भाजपा में ऐसी लंबी फेहरिस्त है।यह भाजपा की ताकत भी है और कमजोरी भी।
विरोधी इस चर्चा को हवा देकर इन्हें आपस में लड़ाना चाहते हैं।
मोदी वर्तमान समय के चुने हुए नेता हैं जिनकी भूमिका काल निर्धारित कर चुका है।
उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनमें निहित नयी संभावना है।आशा-विश्वास की कसौटी हैं मोदी।
वे काल द्वारा चुने हुए हैं।चुके हुए नहीं।
यदि सुषमा राजग की उम्मीदवार बनी तो चुनाव सोनिया बनाम सुषमा होगा ।यह स्थित कांग्रेस केअनुकूल
होगी ।सोनिया सुषमा पर अपनी श्रेष्ठता अनेक बार साबित कर चुकी हैं पर यदि चुनाव मोदी बनाम राहुल हो
तो परिदृश्य अलग और अद्भुद होना तय है।यह भाजपा के हित में है।
यदि भाजापा 180 से अधिक सीटें जीतती है तो राजग के सभी नये-पुराने सहयोगी साथ देंगे पर
भाजपा के कमजोर रहने पर किसी न किसी बहाने चीं-चीं पीं -पीं करते रहेंगे।
नरेन्द्र मोदी के आते ही विपक्षी चाहे-अनचाहे सांप्रदायिकता का मुद्दा उठाएँगे जो सांप्रदायिकता के आरोप पर
मिमियाने वाली भाजपा से निराश दक्षिण पंथियों को फिर भाजपा के साथ लामबंद कर देगी।
मुसलमान भाजपा को कभी वोट नहीं देंगे यह निश्चित है पर भाजपा जो धर्म निरपेक्षता के चक्कर में सत्ता,जन
समर्थन खो चुकी है ।वह सब वापस पा लेगी।
अटल जी को राजग ने नहीं धारा 370 के विरोध,समान नागरिक संहिता और राम मंदिर आंदोलन ने प्रधानमंत्री
बनाया था।इनके बिना पार्टी सबकुछ खोकर मृत्यु शैय्या पर पहुँच गयी है।शेर की जगह भूसा भरी शेर की पुतली
जैसी भाजपा सत्तासीन हो भी गई तो प्रकारांतर से वह कांग्रेस की कार्बन कापी होगी।देश का भला न करने वाली
,सत्ता के लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता कर जिहादी टोपी पहनने वाली भाजपा भी नहीं चाहिए।
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