Achyutam keshvam
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रहिये अहर्निश भक्ति भावना में चूर .
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दुःख दाह शान्त करै छवि घनश्याम की .
होयगी शमित चित्त चिंता काम दाम की .
हृदय हिण्डोला झूलै राधिका झुलावै हरि,
भवभीत हारी छवि युगल ललाम की .
चिदानन्द रस को रसाल चखि भरपूर .
रहिये अहर्निश भक्ति भावना में चूर .
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परिव्याप्त बाह्य अभ्यन्तर संसार है .
विश्व नाट्य मंचन नियामक सूत्र धार है .
मात्र प्रेम बंधन के भंजन में असमर्थ ,
राधिका के पाँव चांपि करै मनुहार है .
जग को हजूर निज दासन को है मजूर .
रहिये अहर्निश भक्ति भावना में चूर .
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