Achyutam keshvam
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सपने का क्या है टूट गया .
सपना तो फिर भी सपना है .
–
समय दिखाता रहा अँगूठे ,
राम गुसइंयाँ तुम भी झूँठे ,
जब हों पाप दया पर भारी .
फिर तो नाम वृथा जपना है .
सपने का क्या है टूट गया .
सपना तो फिर भी सपना है .1.
–
तज उपहास उपेक्षा दूजी .
मेरे पास रही क्या पूँजी .
कैसे कहूँ अरी ओरों को ,
अपना कौन हुआ अपना है .
सपने का क्या है टूट गया .
सपना तो फिर भी सपना है .२.
–
सोम-सुधा जगभर में बाँटी .
धरती की जंजीरें काटीं .
फिर भी रहा अकिंचन मैं ही ,
कँपना कभी कभी तपना है.
सपने का क्या है टूट गया .
सपना तो फिर भी सपना है .3.
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