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इसने कहा नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
उसने कहा नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
तुमने कहा नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
हमने कहा नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
आसमान फट गया
नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
धरती धसक गई
नदीम का नाम राजेश क्यों किया?
अचानक
सन्नाटे को चीरते हुए
झूठ की झील में
एक पत्थर गिरा “छपाक ”
और
यह-वह-हम-तुम
नंगे हो गये
नदीम को राजेश नहीं बशीर किया गया था
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मैं फ़िल्में नहीं देखता
और सीरीयल भी नहीं
मुझे देखने की तुलना में
पढ़ना ही भाता है
देखना भर देता है एक तरह की थकावट से
जो ले जाती है दूर
कल्पना मौलिकता और रचनात्मकता से
पर
मैं देखूंंगा “छपाक ”
धोने के लिए
अपने ऊपर लगा पुरुषत्व का दाग
ओ निर्भया ओ लक्ष्मी
ओ ज्ञात और अज्ञात नामवाली शोषित पीड़ित लड़कियोंं
मैं शर्मिंदा हूंं पुरुष होने पर
कि चुपचाप देखते हुए
अपनी सी मनोशारीरिक संरचना वाले
तथाकथित पुरुषों के पूर्ण पुरुषोचित कर्म
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मेरे बन्धु
तुमने ठीक ही किया बहिष्कार
“छपाक “जैसी फिल्म का
नहीं देखनी चाहिए तुम्हें
यह कृत्य तुम्हें शोभा नहीं देता
तुम्हें जाना चाहिए
माननीय नेता के समर्थन जुलूस में
“हमारा नेता निर्दोष है “के बैनरों के साथ
तुम्हें करना चाहिए
कन्या भ्रूण-हत्या का समर्थन
आभासी और वास्तविक दुनिया में
क्योंकि एक नेता की बेटी ने
अपनी मर्जी से विवाह कर लिया
तुम्हें बढ़ानी चाहिए आगे
स्त्रीयों से मालिश कराने के शौक़ीन
साधु के प्रति प्राथमिकी
पीड़िता के घावों पर बेशर्मी से नमक छिड़कते हुए
मेरे बन्धु यही पूर्ण पुरुषोचित कार्य
तुम करो दत्त-चित्तता से
“छपाक “को छोड़ दो हम जैसे पुरुषों के लिए
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“छपाक “को देखिये
किसी नायिका या आन्दोलनरत छात्रों के समर्थन में नहीं
किसी सरकार या राजनितिक विचार धारा के विरोध में नहीं
न ही उन असंख्य ज्ञात और अज्ञात नामवाली औरतों के लिए
जो लड़ रही है ,समझौता कर चुकी हैं या हार गयी हैं
बल्कि
जिन्दा रखने के लिए
अपने दिल में सम्वेदनशीलता
जगाने के लिए
अपने मन में मनुष्यता
समझ पैदा करने के लिए
आत्मा में प्रेम की
ताकि तुमसे सुरक्षित रहे
तुम्हारी बेटी
तुम्हारी माँ
तुम्हारी बहिन
तुम्हारी पत्नी
घरेलू नौकरानी
और
कार्यालय की महिला सहकर्मी
“छपाक “को देखिये
खुद को तराशने के लिए
और
मांझने के लिए भी.
नोट : यह लेखक के निजी विचार हैं। इनसे संस्थान का कोई लेना-देना नहीं है।
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