हारेगा अंधकार, जीतेगा उजियाला Achyutam keshvam हम समय शम्भु के चाप चढ़े सायक हैं. हम पीड़ित मानवता के नव नायक हैं हम मृतकों को संजीवन मन्त्र सुनाते हम गीत नहीं युग गीता के गायक हैं
नेह के पखेरू फिर,
अंबर में डोलेंगे।
जगती के कानों में,
मधु कलरव घोलेंगे।
घोलेंगे क्रोध ज्वलित,
नैनो को अश्रु नीर,
मानव के शुभ प्रयास,
नव गवाक्ष खोलेंगे।
खुलना है पिंजरा तो खुलना है,
टूटेगा हर ताला।
हारेगा अंधकार हारेगा, जीतेगा उजियाला।(1)
नफरत की हिंसा की,
टूटेंगी तलवारें।
जहरीले नारों को,
मिलनी हैं दुत्कारें।
जय हो सौहार्द्र और,
शान्ती अहिंसा की,
मैत्री के गीतों में,
खोनी हैं ललकारें।
भरना है करुणा से भरना है,
मानव का मन प्याला।
हारेगा अंधकार हारेगा, जीतेगा उजियाला।(2)
जय भारत माता की,
जय भारत बेटी की।
घूंघट की कैद पड़ी,
किस्मत की हेठी की।
देवियों की देहों से,
मानवियां प्रकटेंगी,
जय हो हर हतभागी,
चरणों में लेटी की।
फाड़ेगी हर तितली फाड़ेगी,
मकड़ों का हर जाला।
हारेगा अंधकार हारेगा, जीतेगा उजियाला।(3)
नोट : ये लेखक के निजी विचार हैं और इसके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं।
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