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खुशीयाँ बहुत गली में तेरी ,प्रतिबंधित प्रवेश है मेरा

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
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खुशीयाँ बहुत गली में तेरी ,प्रतिबंधित प्रवेश है मेरा .

समय शेष रहता पतितों के, घावों पर मरहम मलने से .
पग इंकार नहीं करते फिर ,तेरे मन्दिर तक चलने से .
सुमिरन तजा सुमिरनी तोडी ,सच है ये अपराध किया है ,
पर अनसुनी कराहें करना ,था कुछ कठिन तुझे छलने से .
क्या वैकुण्ठ मुझे सुख देगा,जबतक दुखी देश है मेरा .
खुशीयाँ बहुत गली में तेरी ,प्रतिबंधित प्रवेश है मेरा .१.

मैं घर से गंगाजल लेकर,निकला तो था तुझे चढ़ाने .
पथ में प्यासे ओंठ मिले तो,लगा उन्हीं की प्यास बुझाने.
पुण्य-पन्थ को ठुकरा मैंने ,सचमुच भीषण पाप किया है,
पर करुना को त्याग कठिन था,आगे अपने पैर बढ़ाने.
कैसे ठाकुर द्वारे आऊँ ,पंकिल मलिन वेश है मेरा.
खुशीयाँ बहुत गली में तेरी ,प्रतिबंधित प्रवेश है मेरा.२.

लेकिन करुणामय मैंने तो,जन-जन में तुझको पाया था.
कह सच था या भ्रम था सबकी,आँखों में तू मुस्काया था.
भ्रम था तो मैंने पीड़ा का,अंगीकृत अभिशाप किया है,
लेकिन ये भ्रम का विष मैंने ,चरणामृत कहकर पाया था.
कैसे सच्चा नाम कहूँ रे ,अबतक पाप शेष यदि मेरा .
खुशीयाँ बहुत गली में तेरी ,प्रतिबंधित प्रवेश है मेरा .३.

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