Achyutam keshvam
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दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
–
दूर है दिनमान जबतक ,
शेष काली रात .
वंचकों की जात बैठी है ,
लगाये घात .
ओ! प्रकाशित गात रहना ,
बन तिमिर का यम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
–
रौशनी है कर्म तेरा ,
रोशनी है धर्म .
तैल हो निश्शेष तो क्या,
शेष वर्तिक चर्म.
श्वास हो अंतिम,न हो
उत्साह फिर भी कम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
–
दीप तू निष्कम्प जल ,
निर्भीक जल मत हार .
रख अटल विश्वास ,
लेंगे विष्णु फिर अवतार .
ये परिस्थितियाँ विषम ,
होने लगेंगी सम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
–
रण विजय हो या करें ,
मृत्यु वरण .
पर तिमिर की गह ,
नहीं सकते शरण .
बुझ गये तो फिर उगेंगे.
पूर्व से.
जग कहेगा ,सूर्य
तव अभिनन्दनम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
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