Menu
blogid : 14295 postid : 1320819

बसता सुख अर्जन में अथवा परिवर्जन में

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
  • 105 Posts
  • 250 Comments

हर मन सुख अभिलाषा
प्रथक -प्रथक परिभाषा

बसता सुख अर्जन में
अथवा परिवर्जन में
घर में जन-जीवन में
गिरि में कंदर वन में
कहाँ करे सुख वासा (१)

भीड़ भरे देवालय
भीड़ भरे वैश्यालय
भीड़ भरे विद्यालय
भीड़ भरे मदिरालय
किसकी पूरित आशा(२)

वृद्ध प्रिया संस्मृतियाँ
स्वप्न प्रिया युव अँखियाँ
महिला मन सुत-सखियाँ
लघु-पाँखी नव-पंखियाँ
जन-जन-मन मधु आशा (३)

कवि मन भाये ताली
दुर्मुख शोभित गाली
हंस हृदय रवि लाली
उर-उलूक निशि काली
जग भर मन कर दासा (४)

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply