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बुलबुल ने गीत तजे, बाजों के डर से.

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
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कितने दिन तरसे.
तब बादल बरसे.
चींटे नभ नाच रहे,
उग आये पर से.
ओठों पर मुस्काने,
दिल में है फरसे.102013369_univ_lsr_md
राम-सिया अब भी हैं,
निर्वासित घर से.
प्यासे ही लौटे हम,
सागर के दर से.

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