Achyutam keshvam
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शब्द पथ पर अर्थ का पाथेय .
किन्तु कितनी दूर फिर भी ध्येय .
–
सरल वर्तुल अक्षरों की लीक .
मनचले पग कब चले हैं ठीक .
ये सितारों का दिया है श्रेय .
शब्द पथ पर अर्थ का पाथेय .
किन्तु कितनी दूर फिर भी ध्येय .(१)
–
प्यास है लेकिन कहाँ है कूप .
उन पगों में चुभ रही है दूब .
कंटकों को मानते थे हेय.
शब्द पथ पर अर्थ का पाथेय .
किन्तु कितनी दूर फिर भी ध्येय .(२)
–
कंठ में जो गीत रुपी हार .
संस्कारों का सहज विस्तार .
अन्यथा भाषा रही कब गेय .
शब्द पथ पर अर्थ का पाथेय .
किन्तु कितनी दूर फिर भी ध्येय .(३)
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