darpan
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मन करता है
एक सुन्दर कविता लिखूँ
ऐसी कविता
जिसका प्रत्येक शब्द लदा हो
मेरी अनेकानेक शुभकामनाओं से ,
जिसकी हर पँक्ति समेटे हो ईश्वर के अनगिनत आशीर्वाद
जिसके भावार्थ में रचा बसा हो
मेरे जीवन के सभी संचित पुण्यों का फ़ल
स्वर सजे हों जिसके मेरे हृदय स्पन्दनों से
और ,सुगन्ध बसती हो जिसमे तुम्हारी निश्छलता की
ऐसी कविता
जो अनावृत करदे ईश्वर के प्रति हमारी कृतज्ञता को
कि हमें तुम जैसी बिटिया देकर जो उपकार किया है प्रभु ने
जो रंग भरे हैं हमारे जीवन में
आनन्द के जो अमलतास -गुलमोहर खिलायें हैं
वह आठों सिद्धि और नौ निधियों को लजाते हैं
हो सकता है
जैसी भाषा लोग समझते हैं वैसे
शब्द न मिलें मुझे
पर हमने अपने हृदय में इसका सृजन कर लिया है
सही कहा है कविता ह्रदय से निकलती है ।
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