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सरल उत्तर

darpan
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क्यों सुबकती हैं कलपती हैं

थोड़ी सी गर्माहट को

आग की लपटें ?

क्यों तरसता है मचलता है

बूँद बूँद को अथाह सागर ?

क्यों घिग्गी बन्ध जाती है

अँधेरे के सामने

जेठ की चटख धूप की ?

क्यों गिडगिडाते हैं

रत्ती भर गुलाल को

पलाश और गुलमोहर ?

क्यों मैं ऐसे बनकर दिखाता हूँ

जैसे पता नहीं मुझे इन प्रश्नों के उत्तर ?

क्यों मौन हो तुम सब भी ?

बादलों में बनी आकृति की तरह

पिघल जाता है अतीत, वर्तमान भी

और फिर कुछ नए प्रश्न उभर आते हैं

सफ़ेद, ऑफ व्हाइट, मटमैले,

पीले, सलेटी और काले

हरे और सतरंगी भी

सब देते हैं फिर, कुछेक

पसंदीदा प्रश्नों के लुभावने , आनंददायक

उत्तर, व्याख्या सहित

लेकिन ,कुछ सरल प्रश्न

फिर से बाट जोहने लगते हैं

अपने सरल उत्तरों की

डॉ. विनोद भारद्वाज

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