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मेरी कहानी
कुछ दिनों पहले ही करीब १ महीने बाद मैं अपनी कर्मभूमि में वापस लौटी थी. एक दो दिन बाहर खाना खा कर बोर हो गई तो सोचा बाज़ार जाकर जरुरत का कुछ सामान ले आऊं. जूट की थैली हाथ में लिए, अपनी स्कूटी पर सवार हो निकल पड़ी बाज़ार की ओर. किराने की दुकान में घुसते ही लगा की आज फिर दुकान वाला हमें, हमारे ना चाहते हुए, अपनी लाल, पीली, हरी, नीली पॉलीथीन की थैलियाँ थमा देगा. पर ये क्या, आज तो माहौल कुछ बदला- बदला नजर आ रहा था. दुकान वाला हमे कागज के लिफाफों में सामान दे रहा था. हमें अन्दर से बहुत ख़ुशी हुई, पर दुकान वाले से हमने कुछ पूछा नहीं और आगे बढ़ चले सब्जी मंडी की ओर.
यहाँ का दृश्य देखकर तो हमारी हंसी ही छुट गई. कोई अपने बड़े रुमाल में सब्जी ले रहा था, तो कोई अपने आँचल में सब्जी संजो रहा था. दुकान वाले भी हमें कागज की थैलियों में सब्जी दे रहे थे. आखिर हमसे नहीं रहा गया तो हमने एक सब्जी वाले से पूछ ही लिया कि आखिर माजरा क्या है. हमारी बात सुनकर वो हमे यूँ देखने लगा मानो हमने उसकी सारी संपत्ति छीन ली हो और मुहं बनाते हुए बोला कि मैडम जी आपको पता नहीं है नगर पालिका ने पॉलीथीन कि थैलियों को बैन कर दिया है. उसकी बातें सुनकर दिल में आया कि उसे सब्जी के दुगुने पैसे दे दूँ.
सोचकर ख़ुशी हुई कि चलो देर से ही सही आखिर हमारे छोटे से नगर के कर्ता-धर्ताओं कि नींद तो खुली और उन्होंने इस पर्यावरण में जहर घोलती पॉलीथीन के उपयोग पर रोक तो लगाई. पर क्या ये सफल हो पायेगा, राम भरोसे है.
हम सब की कहानी
कैसे रोके ये खतरा
नई पहल
हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत का पहला राज्य है, जिसने पॉलीथीन कचरे से एक किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क को पक्का करने के लिए उपयोग में लाया है. अभी तक हिमाचल प्रदेश में 1,381 क्विंटल पॉलीथीन कचरा एकत्रित किया जा चुका है. इस पॉलीथीन कचरे का उपयोग लगभग 138 किलोमीटर सड़क के निर्माण में किया जाएगा.
ये एक बहुत अच्छी पहल है. जहाँ इससे ये पॉलीथीन कचरा उपयोग में आएगा, वहीँ हमारे गांवों को कुछ किलोमीटर सड़क मिल जाएगी. अन्य राज्यों को भी इससे कुछ सीख लेनी चाहियें.
कानून बनते हैं और टूटते हैं, लेकिन पर्यावरण को बचाने और उसकी देखभाल का जिम्मा हम सब के ऊपर है। सरकार तब तक बहुत कुछ नहीं कर सकती, जब तक कि हम स्वयं ये दृढ संकल्प न ले ले कि आज से हम पॉलिथीन उपयोग में नहीं लायेंगे. यदि सभी लोग पॉलीथीन के खिलाफ जागरूक होकर अभियान छेड़ दें और इसका इस्तेमाल खुद ही त्याग दें, तो वो दिन भी जरुर आएगा जब किसी भी दुकान पर ये जहरीली थैलिया नहीं दिखाई देंगी. यदि आज हम पर्यावरण की देखभाल नहीं करेंगे तो वह दिन भी दूर नहीं जब इस दुनिया का अंत करीब आ जायेगा और हम सब सिर्फ हाथ मलते रह जायेंगे.
तो क्यों ना हम आज से ही ये प्रण लें कि इन जहरीली थैलियों का उपयोग और नहीं. बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है.
तो उठो और जागो, इसके पहले कि पॉलीथीन हमें हमेशा के लिए सुला दे……..
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