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दिनों-दिन बढती कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ी समस्या का रूप लेने की ओर अग्रसर है………..देखिये ये कहीं नासूर ना बन जाये…….२००१ की जनगणना के अनुसार आने वाले समय में हर १० में से १ आदमी को कुंवारा रहना पड़ेगा……..और CIA की २००६ की रिपोर्ट के अनुसार हर ५ आदमी में से १ को कुंवारा रहना पड़ेगा………यानि की ५ साल में कुंवारों की संख्या दुगुनी हो गई………बहुत जल्दी ही २०११ की जनगणना आने वाली है, सोचिये उसमें क्या पता चलने वाला है?? अभी भी समय है, संभल जाओ कन्या भ्रूण हत्यारों, वरना कल अपने प्यारे बेटे की शादी के लिए आपको कौन-कौन से पापड़ बेलने पड़ेंगे , वो आप सोच भी नहीं सकते……….
नन्ही सी एक कली हूँ मैं
कल मैं भी तो इक फूल बनूँगी
महका दूंगी दो घर आँगन
खिलकर जब मैं यूँ निखरुंगी
ना कुचलो अपने कदमों से
यूँ मुझको इक फल की चाहत में
फल कहाँ कभी बागबां का हुआ है
गिरता अक्सर गैरों की छत पे
उम्र की ढलती शाम में जब
ना होगा साथ कोई साया
याद आयेगा ये अंश तुम्हारा
जिसको तुमने खुद ही है बुझाया
क्या इन फलों से ही है माली
तेरी इस बगिया की पहचान
गुल भी तो बढ़ाते है खिलकर
तेरी इस गुलिस्तां की शान
बोलो फूल ही ना होंगे तो
तुम फल कहाँ से पाओगे
बेटी जो ना होगी किसी की
तो बहु कहाँ से लाओगे?
तो बहु कहाँ से लाओगे??????
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